आपातकाल में सभी मनुष्य जीवित रहें; इसके लिए और सृष्टि के कल्याण हेतु क्रियाशील एकमेव द्रष्टा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी
आपातकाल में रक्षा होने हेतु व्यक्ति स्वयं के बलबूते पर चाहे कितनी भी तैयारी कर ले, तब भी भूकंप, सुनामी जैसी महाभीषण आपदाओं से बचने हेतु संपूर्ण भार भगवान पर ही सौंपना पडता है । व्यक्ति ने साधना कर भगवान की कृपा पाई, तो वे किसी भी संकट में उसकी रक्षा करते ही हैं ।