तीसरा विश्वयुद्ध अतिभीषण होने के कारण शारीरिक और मानसिक समाधान योजना के साथ ही आध्यात्मिक उपचार भी करने पडते हैं । इसका अर्थ है हमें अपनी साधना के प्रयास बढाने होंगे । धर्म अधर्म युद्ध में जो ईश्वर की भक्ति करता है, धर्म के पक्ष में खडा रहता है, ईश्वर उसकी रक्षा करते हैं; परंतु उसके लिए हमें भक्त बनना आवश्यक है । आपातकाल आगे गया है । उसका लाभ उठाकर अधिकाधिक भक्ति का, साधना का, धर्माचरण करने का प्रयास बढाया तो ईश्वर भक्तों की रक्षा करेंगे ही, इसमें कोई शंका नहीं !
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साधना और भक्ति द्वारा ही आनेवाले भीषण तीसरे विश्वयुद्ध में भक्तों की रक्षा होगी ।
नूतन लेख
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
कोटि-कोटि प्रणाम !
पू. (श्रीमती) गीतादेवी खेमकाजी की सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के प्रति दृढ श्रद्धा एवं उनका भक्तिभाव
(और इनकी सुनिए…) ‘डेंग्यू, मलेरिया, कोरोना की भांति ही सनातन धर्म को भी नष्ट करना है !’ – उदयनिधि
नूंह हिंसा में कांग्रेस का हाथ ! – अनिल विज, गृहमंत्री, हरियाणा
माथे पर तिलक लगाने, कलाई पर लाल धागा बांधने आदि से विद्यार्थियों को नहीं रोका जाएगा ! – मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की स्पष्टोक्ति