सनातन के ४६ वें संत पू. भगवंत मेनरायजी की सेवा में रहते समय साधकों को सीखने मिले सूत्र एवं प्राप्त अनुभूतियां !
वर्ष २०१९ में पू. मेनरायजी जब रामनाथी आश्रम में थे, तब मुझे ‘उनके वस्त्र धोने और इस्तरी करने’ की सेवा मिली थी । तब पू. (श्रीमती) मेनरायजी एवं पू. मेनरायजी दोनों ही बीमार थे । उन्हें अधिकांश समय विश्राम ही करना पडता था ।