चैतन्य का वर्षाव करनेवाली प.पू. भक्तराज महाराजजी की गाडी के विषय में हुई अनुभूतियां !

‘देवद आश्रम में प.पू. भक्तराज महाराज (प.पू. बाबा) द्वारा उपयोग में लाया ‘रथ’ (गाडी) है । प.पू. बाबा का रथ, देवद आश्रम के साधकों के लिए चैतन्य का वर्षाव ही है । प.पू. बाबा भले ही अब स्थूल से नहीं हैं, तब भी ‘वे रथ के माध्यम से स्थूल से भी हैं’, ऐसी अनुभूति अनेक साधकों को हो रही है ।

व्यवसाय करते हुए साधना में संतपद प्राप्त करनेवाले कतरास, झारखंड के सफल उद्योगपति एवं सनातन संस्था के ७३ वें (समष्टि) संत पू. प्रदीप खेमकाजी (आयु ६४ वर्ष) !

कतरास, झारखंड के सफल उद्योगपति एवं सनातन संस्था के ७३ वें (समष्टि) संत पू. प्रदीप खेमकाजी से सुश्री (कु.) तेजल पात्रीकर (आध्यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत) द्वारा उनकी साधना से संबंधित सुसंवाद एवं उनकी साधना यात्रा आगे दी है ।

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने स्वयं मेरे व्यवसाय का भार लेकर मुझे साधना करने हेतु समय दिया’, ऐसा भाव रखनेवाले सनातन संस्था के ७३ वें (समष्टि) संत पू. प्रदीप खेमकाजी 

सुश्री (कु.) तेजल पात्रीकर (आध्‍यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत) ने ११.१०.२०२१ को कतरास (झारखंड) के सफल उद्योगपति एवं सनातन संस्था के ७३ वें संत (समष्टि) पू. प्रदीप खेमकाजी तथा उनके परिवार के साथ भेंटवार्ता की । इस भेंटवार्ता से उनकी साधनायात्रा के कुछ अंश यहां प्रस्तुत हैं… ।

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी ईश्वर स्वरूप तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी परमेश्वर स्वरूप हैं’, इसकी साधिका को हुई प्रतीति !

मुझे सदैव ही अपना नाम ‘परमेश्वर की आरती’, ऐसा लिखने की आदत है । मुझे मन से भी ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी परमेश्वर हैं तथा मैं उस परमेश्वर की हूं’, ऐसा ही लगता रहता है

भारत के चंद्र अभियान की सफलता के विषय में अनुभव हुईं सूक्ष्म गतिविधियां !

‘विक्रम लैंडर’ चंद्रमा पर सफलता से उतरने के विषय में अनुभव हुए सूक्ष्म आयाम संबंधी तथ्य

सनातन के ‘रासलीला’ ग्रंथ में राधा द्वारा श्रीकृष्ण को प्रार्थना के रूप में किया आत्मनिवेदन तथा श्रीकृष्ण द्वारा उत्तर के रूप में किया उनका मार्गदर्शन ! मार्गदर्शन पढने पर ईश्वर की कृपा से साधिका को सूझे सूत्र

परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने साधकों को ‘गुरुकृपायोग’ का साधनामार्ग बताकर ‘ईश्वरप्राप्ति’ का ध्येय दिया, जिससे साधक उनमें नहीं अटकते

नम्र, मृदूभाषी एवं साधकों की प्रेमपूर्वक चिंता करनेवाले सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी !

हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी का निवास वाराणसी सेवाकेंद्र में है । वहां के साधकों को सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी से सीखने मिले सूत्र एवं उन्हें हुईं अनुभूतियां आगे दी गई हैं ।

पू. भगवंत कुमार मेनराय के कक्ष में रखा हुआ तुलसी का पौधा पूरी तरह फला फूला होने के पश्चात भी उसके पत्ते नीचे की ओर झुके हुए हैं

‘तुलसी के पौधे अनेक स्थानों पर पाए जाते हैं । इन पौधों की ओर देखने के पश्चात हम प्रसन्न होते है; किंतु तुलसी के पौधे से निरंतर प्राणवायु तथा विष्णुतत्त्वमय चैतन्य की लहरें प्रक्षेपित होती हैं । इस प्रकार रामनाथी सनातन आश्रम में रहनेवाले संत पू. भगवंत कुमार मेनराय के निवास कक्ष में एक गमले में यह पौधा अच्छी तरह से फला फूला दिखाई दिया ।

परिजनों में अनबन होना अथवा न होना; उनके स्वभावदोष, अहं, पूर्वजों के कष्ट आदि प्रारब्ध पर निर्भर होना

परिजनों में अनबन होना अथवा न होना, उनके स्वभावदोष, अहं, पूर्वजों के कष्ट आदि प्रारब्ध पर निर्भर होने के कारण साधकों को स्थिर रहकर साधना करना आवश्यक

भगवान बालाजी तथा श्री हनुमान द्वारा जो आदेश आते हैं, वही मैं कहता हूं ! – बागेश्‍वर धाम पीठ के पंडित धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री

मैं कोई तपस्वी अथवा मन की बात जाननेवाला नहीं हूं । जब मैं गादी पर (बागेश्‍वर धाम पीठ की गादी) बैठा नहीं होता, तब एक सामान्य मनु्ष्य होता हूं, परंतु गादी पर बैठ कर भगवान बालाजी तथा श्री हनुमानजी का स्मरण करने पर जो आदेश मिलते हैं, मैं वही कागज पर लिखता हूं ।