सप्तर्षियों की आज्ञा से साधक सचल- दूरभाष पर बोलते समय ‘नमस्कार’ कहने की अपेक्षा ‘हरि ॐ’ कहकर वार्तालाप आरंभ करें !

(श्रीसत्शक्ति) श्रीमती बिंदा सिंगबाळ‘सचल-दूरभाष से बोलते समय साधक ‘नमस्कार’ शब्द से संभाषण आरंभ करते हैं । आगे से सप्तर्षियों की आज्ञा के अनुसार सचल-दूरभाष से बोलते समय सर्व साधक ‘हरि ॐ’ कहकर आपस में बोलना आरंभ करें ।

सिखाने की अपेक्षा सीखने की वृत्ति रखने से अधिक लाभ होता है !

‘ईश्वर सर्वज्ञानी हैं । हमें उनके साथ एकरूप होना है । इसलिए हमारा निरंतर सीखने की स्थिति में रहना आवश्यक है । किसी भी क्षेत्र में ज्ञान अर्जित करना, यह कभी भी समाप्त न होनेवाली प्रक्रिया है । अध्यात्म तो अनंत का शास्त्र है ।

हिन्दुओ, परतंत्रता में धकेलनेवाले साम्राज्यवादियों को पराभूत कर भारत को अजेय राष्ट्र बनाने हेतु क्षात्रवृत्ति आवश्यक !

‘भारतीय इतिहास में एक ओर सात्त्विक एवं पराक्रमी राज्यकर्ताओं का काल ‘सुवर्णकाल’ समझा जाता है; परंतु दूसरी ओर परतंत्रता, अर्थात विदेशियों द्वारा भारत पर राज किए जाने का इतिहास है । रामायण काल में लंकापति रावण ने भारत के कुछ भाग पर राज किया ।

अखिल मानवजाति का अध्यात्म जगत से अभिनव परिचय करानेवाली सनातन संस्था की ध्वनि-चित्रीकरण से संबंधित सेवाओं में सम्मिलित होकर धार्मिक कार्य में अपना योगदान दें !

ध्वनि-चित्रीकरण से संबंधित सेवा करनेवालों की विविध सेवाओं से जगत को अध्यात्म जगत की नवीन पहचान होगी, इसके साथ ही ज्ञान का एक अनोखा आनंद भी अनुभव होगा ।

समाज की सात्त्विकता बढानेवाली कलाकृतियों की सेवा का स्वर्णिम अवसर !

कौशल, स्पंदनशास्त्र का अध्ययन, सेवाभाव एवं गुरुकृपा का संगम ‘कलायोग’ के द्वारा समाज की सात्त्विकता बढाने के लिए, सात्त्विक कलाकृतियों से संबंधित सेवा का स्वर्णिम अवसर गुरुकृपा से उपलब्ध हो रहा है ।

घोर आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व अधिक गति से आवश्यक ग्रंथ-रचना की सेवा में सम्मिलित होकर शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति कर लें !

‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने बताया है, ‘घोर आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व अधिकाधिक ग्रंथों की निर्मिति कर उसके द्वारा समाज को साधक बनाना’ आज के समय की श्रेष्ठ समष्टि साधना है !’ इस प्रकार ग्रंथ-रचना का कार्य अधिक गति से करने का एक दृष्टि से परात्पर गुरु डॉक्टरजी का अव्यक्त संकल्प ही हुआ है ।

अखिल मनुष्यजाति को अध्यात्म जगत की नवीनतापूर्ण पहचान करानेवाले सनातन संस्था की ध्वनिचित्रीकरण से संबंधित सेवाओं में सम्मिलित होकर धर्मकार्य में अपना योगदान दें !

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के मार्गदर्शन में सनातन के रामनाथी आश्रम में स्थापित ‘ध्वनिचित्रीकरण की सेवा’ हिन्दू धर्म एवं संस्कृति, साथ ही आध्यात्मिक शोधकार्य की अद्वितीय पहचान करानेवाला ज्ञान का भंडार है !

साधकों को सूचना एवं पाठकों, हितचिंतकों तथा धर्मप्रेमियों से अनुरोध !

रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में सेवा एवं अन्य कारणों के लिए, साथ ही ‘सनातन प्रभात’ के गोवा-सिंधुदुर्ग संस्करण विभाग से संपर्क करने के लिए निम्नांकित क्रमांकों का उपयोग करें ।

टोल बूथ से वाहन के न जाते हुए भी ‘फास्टैग’ के खाते से पैसे कटे हों, तो पुलिस थाने में परिवाद प्रविष्ट करें !

हम अपने चारपहिया वाहन से जब राष्ट्रीय महामार्ग तथा राज्य महामार्ग से यात्रा करते हैं, तब हमें वहां के टोल बूथ कर टोल देना पडता है । आज के समय में इस टोल के भुगतान के लिए विभिन्न प्रतिष्ठानों ने ऑनलाइन ‘फास्टैग’ की सुविधा आरंभ की है ।

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत ‘हस्त एवं पाद समुद्रशास्त्र’ के संदर्भ के शोध कार्य में सम्मिलित होकर साधना के स्वर्णिम अवसर का लाभ लें !

व्यक्ति की हथेलियों एवं तलवों की रेखाएं, उनका एक-दूसरे से संयोग, चिन्ह, उभार एवं आकार से व्यक्ति का स्वभाव, गुण-दोष, आयुर्दाय (दीर्घायु), भाग्य, प्रारब्ध इत्यादि ज्ञात कर सकते हैं ।