नववर्षारंभ दिन निमित्त संदेश
‘भारतीय इतिहास में एक ओर सात्त्विक एवं पराक्रमी राज्यकर्ताओं का काल ‘सुवर्णकाल’ समझा जाता है; परंतु दूसरी ओर परतंत्रता, अर्थात विदेशियों द्वारा भारत पर राज किए जाने का इतिहास है । रामायण काल में लंकापति रावण ने भारत के कुछ भाग पर राज किया । इस परतंत्रता से भारत को मुक्त करने हेतु प्रभु श्रीराम को अवतरित होना पडा । पिछले १४०० वर्षाें के इतिहास में भारत के कुछ प्रदेशों पर ग्रीक, पुर्तगाली, अंग्रेज, डच एवं मुसलमानों ने अधिक समय तक राज किया । ‘समाज का क्षात्रभाव लुप्त होने पर विदेशी साम्राज्यवादी शक्तियां प्रबल होकर परतंत्रता आती है’, ऐसा वैश्विक सिद्धांत है । अनेक बार विदेशियों का यह साम्राज्यवाद क्षात्रभाव विहीन हिन्दुओं को परतंत्रता में धकेलनेवाला प्रमाणित हुआ । हिन्दू यह कब समझेंगे ? वास्तव में परतंत्रता में धकेलनेवाले साम्राज्यवादियों को पराजित करने एवं पुन: कभी परतंत्रता न आए इस हेतु भारत को एक अजेय राष्ट्र बनाने के लिए हिन्दू समाज को स्वयं में क्षात्रवृत्ति जागृत करनी चाहिए !
अत: हिन्दुओ, शस्त्रसज्ज एवं दुष्ट शक्तियों के लिए काल प्रमाणित होनेवाले देवी-देवताओं की उपासना केवल भजन के रूप में न करें; अपितु उनकी क्षात्रवृत्ति अंगीकार कर भारत को अजेय साम्राज्य बनाइए !
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवले