आपातकाल की पूर्वतैयारी के रूप में कार्तिकी एकादशी (१५.११.२०२१) से आरंभ सनातन के ‘घर-घर रोपण’ अभियान में सहभाग लें !
रसोईघर के कचरे को ‘पौधों का आहार’ संबोधित करने पर, उस कचरे की ओर देखने का अपना दृष्टिकोण बदल जाता है । केवल शब्द बदलने से अपनी कृति में भी परिवर्तन होता है और हम इस ‘आहार’ को फेंकते नहीं अपितु ‘पौधों को खिलाते हैं ।