अल-कायदा का सरगना अल-जवाहिरी मारा गया !
‘अमेरिका निरंतर दूसरे देशों में घुसकर अपने शत्रुऒ के विरुद्ध इस प्रकार की कार्रवाई करता है, भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता ? प्रत्येक भारतीय के मन में यह प्रश्न उठता है !
‘अमेरिका निरंतर दूसरे देशों में घुसकर अपने शत्रुऒ के विरुद्ध इस प्रकार की कार्रवाई करता है, भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता ? प्रत्येक भारतीय के मन में यह प्रश्न उठता है !
इससे यह ध्यान में आता है कि धर्मांध अब कानून, सरकार आदि किसी को भी महत्त्व नहीं देते ! ऐसों पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी ?
ऐसा कोई अपाराध नहीं, जिसमें धर्मांधों का सहभाग नहीं !
बांगलादेश के सत्ताधारी पक्ष अवामी लीग के नेता ही हिन्दुओं पर आक्रमण करते हैं । नरेंद्र मोदी को बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पर दबाव बनाकर वहां के हिन्दुओं को सुरक्षा उपलब्ध करने के लिए प्रयत्न करने चाहिए, यही राष्ट्रनिष्ठ हिन्दुओं की अपेक्षा है !
‘पी.एफ.आई. के द्वारा देशविघातक गतिविधियां चलाए जाने के असंख्य प्रमाण सामने आते हुए भी सरकार उस पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती ?’, यह प्रश्न राष्ट्रप्रेमियों के मन में है !
हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा ‘हम संवैधानिक पद्धति से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे’, यह घोषणा दिए जाने पर आक्रोश कर चिल्लानेवाले धर्मनिरपेक्षतावादी अब कहां हैं ? अथवा क्या उन्हें इस्लामी राष्ट्र चलेगा ? यह प्रवृत्ति तो पाखंडी धर्मनिरपेक्षता और हिन्दूविघातक दोहरी नीति का उदाहरण है !
पहले दंगे में सम्मिलित होना, तत्पश्चात मूलभूत अधिकार का हनन हो रहा है कहना, यह उचित नहीं । ऐसा कहते हुए न्यायालय ने धर्मांध की देहली पुलिस के विरुद्ध की याचिका अस्वीकार की ।
कावड यात्रा पर बार-बार होने वाले आक्रमण रोक न पाना पुलिस-प्रशासन के लिए लज्जास्पद ! ऐसे आक्रमण रोकने के लिए अब हिन्दुओं को संगठित होना चाहिए !
सुरतकल भाग में ४-५ अज्ञात हमलावरों ने २८ जुलाई को रात्रि लगभग ८ बजे महंमद फाजील की अमानुषिक पिटाई की एवं चाकू से वार कर हत्या कर दी ।
‘आतंकवाद का न कोई धर्म है और न ही रंग’, ऐसा शोर मचानेवाले जिहादियों के समर्थकों को अब क्या कहना है ?