अल-कायदा का सरगना अल-जवाहिरी मारा गया !

‘अमेरिका निरंतर दूसरे देशों में घुसकर अपने शत्रुऒ के विरुद्ध इस प्रकार की कार्रवाई करता है, भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता ? प्रत्येक भारतीय के मन में यह प्रश्न उठता है !

झारखंड में धर्मांधों ने ५ सरकारी विद्यालयों को बंद करने पर किया बाध्य !

इससे यह ध्यान में आता है कि धर्मांध अब कानून, सरकार आदि किसी को भी महत्त्व नहीं देते ! ऐसों पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी ?

नरेल (बांगलादेश) में हुए आक्रमण में सत्ताधारी अवामी लीक पक्ष के नेताओं का हाथ

बांगलादेश के सत्ताधारी पक्ष अवामी लीग के नेता ही हिन्दुओं पर आक्रमण करते हैं । नरेंद्र मोदी को बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पर दबाव बनाकर वहां के हिन्दुओं को सुरक्षा उपलब्ध करने के लिए प्रयत्न करने चाहिए, यही राष्ट्रनिष्ठ हिन्दुओं की अपेक्षा है !

धर्मांध ‘पी.एफ.आई.’ का पिछडे वर्ग को साथ लेकर इस्लामी राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र !

‘पी.एफ.आई. के द्वारा देशविघातक गतिविधियां चलाए जाने के असंख्य प्रमाण सामने आते हुए भी सरकार उस पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती ?’, यह प्रश्न राष्ट्रप्रेमियों के मन में है !

सावधान ! २०४७ में ‘दार-उल-इस्लाम’ !

हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा ‘हम संवैधानिक पद्धति से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे’, यह घोषणा दिए जाने पर आक्रोश कर चिल्लानेवाले धर्मनिरपेक्षतावादी अब कहां हैं ? अथवा क्या उन्हें इस्लामी राष्ट्र चलेगा ? यह प्रवृत्ति तो पाखंडी धर्मनिरपेक्षता और हिन्दूविघातक दोहरी नीति का उदाहरण है !

धर्मांध दंगाइयों की याचिका एवं देहली उच्च न्यायालय की भूमिका !

पहले दंगे में सम्मिलित होना, तत्पश्चात मूलभूत अधिकार का हनन हो रहा है कहना, यह उचित नहीं । ऐसा कहते हुए न्यायालय ने धर्मांध की देहली पुलिस के विरुद्ध की याचिका अस्वीकार की ।

बरेली (उत्तरप्रदेश) के एक गांव में धर्मांध मुसलमानों द्वारा कावड यात्रियों पर पत्थर फेंके गए

कावड यात्रा पर बार-बार होने वाले आक्रमण रोक न पाना पुलिस-प्रशासन के लिए लज्जास्पद ! ऐसे आक्रमण रोकने के लिए अब हिन्दुओं को संगठित होना चाहिए !

मंगलुरू (कर्नाटक) में अज्ञातों द्वारा मुसलमान युवक की हत्त्या !

सुरतकल भाग में ४-५ अज्ञात हमलावरों ने २८ जुलाई को रात्रि लगभग ८ बजे महंमद फाजील की अमानुषिक पिटाई की एवं चाकू से वार कर हत्या कर दी ।

पुलिस ने दक्षिण भारत में ३ मठों पर आतंकवादी आक्रमण को किया विफल !

‘आतंकवाद का न कोई धर्म है और न ही रंग’, ऐसा शोर मचानेवाले जिहादियों के समर्थकों को अब क्या कहना है ?