हरिद्वार में हुई धर्म संसद में वक्ताओं के कथित आपत्तिजनक विधानों के कारण उच्चतम न्यायालय के ७६ अधिवक्ताओं का मुख्य न्यायाधीश का पत्र
हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों के विषय में, साथ ही उनके ऊपर होनेवाले आक्रमणों के विषय में इस प्रकार का पत्र लिखने की सद्बुद्धि इन अधिवक्ताओं को कभी क्यों नही होती या कानून और सुव्यवस्था केवल अन्य धर्म के लोगों के लिए ही होती है , ऐसा उन्हें लगता है ?