परिपूर्ण सेवा करनेवाले एवं पितृवत प्रेम करनेवाले श्री.अरविंद सहस्रबुद्धे एवं चिकाटी से व्यष्टि एवं समष्टि साधना करनेवालीं श्रीमती वैशाली मुंगळे संतपद पर विराजमान !
पू. सहस्रबुद्धेजी के जीवन में साधना के कारण हुए परिवर्तन, उनके द्वारा स्थिरता से सर्व कठिन प्रसंगों का सामना करना, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के प्रति उनकी श्रद्धा आदि प्रसंग सुनकर उपस्थित लोगों का भाव जागृत हुआ ।