साधक श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी का इसी नाम से उल्लेख करें !

सनातन के साधक सप्तर्षियों का आज्ञापालन कर यदि ‘श्रीसत्शक्ति’ एवं ‘श्रीचित्‌शक्ति’, इन शब्दों का उच्चारण करेंगे, तो जिस प्रकार ‘शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध एवं उनसे संबंधित शक्तियां एकत्र होती हैं’, इस अध्यात्म के सिद्धांत के अनुसार उन शब्दों से दैवी शक्ति कार्यरत होकर वह साधकों को मिलेगी ।

कलियुग की सर्वश्रेष्ठ नामजप साधना, नामजप की वाणियां एवं ध्वनि-प्रकाश विज्ञान

आधुनिक विज्ञान भले ही इस बात से अनभिज्ञ हो; परंतु अध्यात्मशास्त्र ने मनुष्य की ४ देह बताई हैं । इन ४ देहों की वैखरी, मध्यमा, परा एवं पश्यंति, ये ४ वाणियां बढते क्रम में उच्च कोटि की बनती जाती है ।

साधको, ‘उचित विचार प्रक्रिया के साथ परिपूर्ण कृति करना’ साधना का समीकरण है, अतः उसके अनुरूप प्रयास कर साधना में निहित शुद्ध आनंद अनुभव करें !

साधको, ‘हमारा प्रत्येक कृत्य एवं उसके पीछे के विचार की ओर भगवान की दृष्टि है’, इसे ध्यान में लेकर निष्ठापूर्वक  साधना करें !’

‘साधना की (ईश्वर के लिए कुछ किया) तथा उससे हानि हुई’, क्या विश्व में ऐसा एक भी उदाहरण है ?

यदि प्रत्येक व्यक्ति को धर्मशिक्षा दी गई, तो ‘जीवन की सार्थकता का क्या अर्थ है ?’, यह ज्ञात होने पर व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का उत्थान हो सकता है !

श्रीकृष्ण के आंतरिक सान्निध्य में रहनेवालीं रत्नागिरी की श्रीमती विजया पानवळकर सनातन के १२६ वें संतपद पर हुईं विराजमान !

साधना में निरंतरता, दृृढता तथा श्रीकृष्ण के निरंतर आंतरिक सान्निध्य में रहनेवालीं यहां की सनातन की साधिका श्रीमती विजया वसंत पानवळकर (आयु ८४ वर्ष) सनातन के १२६ वें संतपद पर विराजमान हुईं ।

प्रीति, परिपूर्ण सेवा करना आदि विभिन्न गुणों से युक्त कर्णावती (गुजरात) के श्री. श्रीपाद हर्षे संतपद पर विराजमान !

ईश्वर के निरंतर आंतरिक सान्निध्य में रहनेवाले वडोदरा के सनातन के साधक श्री. श्रीपाद हर्षे (आयु ८९ वर्ष) सनातन के १२७ वें संतपद पर विराजमान हुए ।

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने स्वयं मेरे व्यवसाय का भार लेकर मुझे साधना करने हेतु समय दिया’, ऐसा भाव रखनेवाले सनातन संस्था के ७३ वें (समष्टि) संत पू. प्रदीप खेमकाजी 

सुश्री (कु.) तेजल पात्रीकर (आध्‍यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत) ने ११.१०.२०२१ को कतरास (झारखंड) के सफल उद्योगपति एवं सनातन संस्था के ७३ वें संत (समष्टि) पू. प्रदीप खेमकाजी तथा उनके परिवार के साथ भेंटवार्ता की । इस भेंटवार्ता से उनकी साधनायात्रा के कुछ अंश यहां प्रस्तुत हैं… ।

संत एकनाथ महाराज द्वारा बताई निजात्मपूजा (आत्मपूजा) तथा उस दृष्टि से विजयादशमी की महिमा !

दशहरा का अर्थ है साधना के द्वारा इंद्रियनिग्रह कर स्वयं पर विजय प्राप्त करना !

निरपेक्ष भाव से गंगा माता का रक्षा कार्य करनेवाले प्रयागराज के अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने प्राप्त किया ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर !

गंगा माता की रक्षा के लिए विरोधियों की धमकियों से न डरकर निःस्वार्थ भाव से अखंड कार्य करनेवाले प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्ता ने ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया ।

आदर्श राजा प्रभु श्रीराम समान दैवी गुण युक्त सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी !

ऋषि-मुनियों ने भी विविध नाडीपट्टिकाओं में लिखकर रखा है कि सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे, पर साधकों के मन में भी यह प्रश्न उठ सकता है कि ‘कैसे ?’; इस विजयादशमी पर हम यह विषय समझेंगे ।