अवयस्क बालिका पर बलात्कार कर उसकी हत्या करने के प्रकरण में दो धर्मांधों को मृत्युदंड

अवयस्क बालिका पर बलात्कार कर तत्पश्चात उसकी हत्या करने के प्रकरण में सत्र न्यायालय में दोषी पाए गए दो धर्मांधों को न्यायालय ने मृत्युदंड सुनाया ।

‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ के संदर्भ में निर्णय लेते समय न्यायालय को मौलानाओं पर विश्वास नहीं रखना चाहिए !- केरल उच्च न्यायालय

मुसलमान महिलाओं को भी तलाक देने का अधिकार होने पर न्यायालय निश्चित !

 ‘मोरबी पुल का धराशायी होना यह दैवी घटना थी !’

जो लोग अपनी लापरवाही और आलस्य के कारण दुर्घटना के लिए भगवान को दोषी ठहराते हैं, उन्हें मृत्युदंड मिलना चाहिए!

भारतीय दंड संविधान और ‘पॉक्सो’ कानून ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ के ऊपर हैं ! – कर्नाटक उच्च न्यायालय

१५ वर्ष की आयु से युवावस्था प्रारंभ होने से उस समय किया विवाह पर ‘बाल विवाह प्रतिबंध कानून’ लागू नहीं होता, ऐसा मुसलमान याचिकाकर्ताओं के कहने को न्यायालय ने नकार दिया ।

पुलवामा आक्रमण में ४० सैनिकों के वीरगति प्राप्त होने से आनंद व्यक्त करनेवाले मुसलमान युवक को ५ वर्ष के कारावास का दंड

ऐसे लोगों को फांसी का दंड देने की कोई मांग करे तो आश्चर्य न लगे !

ज्ञानवापी के शिवलिंग की ‘कार्बन डेटिंग’ करना न्यायालय ने किया अस्वीकार !

इस निर्णय के उपरांत हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने इस निर्णय को सर्वाेच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात की । ११ अक्टूबर को दोनों पक्षों का वादविवाद समाप्त होने के उपरांत न्यायालय ने अपना निर्णय सुरक्षित रखते हुए १४ अक्टूबर को निर्णय देना सुनिश्चित किया था ।

कानपुर के गांव में अवैध घर गिराने गए पुलिस पर पत्थराव

पुलिस पर पथराव करने का दुस्साहस होता है, अर्थात ‘इनका भय नहीं रहा’, ऐसा कह सकते हैं !

मठ के मंदिर पर कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करने का आंध्रप्रदेश सरकार का निर्णय अमान्य !

पूरे भारत में मठ तथा मंदिर सरकारीकरण से मुक्त होने हेतु हिन्दुओं को संगठित होकर वैध मार्ग से प्रयास करना आवश्यक !

हिन्दुओं की दुकानों से दीपावली का सामान खरीदने का आवाहन करनेवाले तमिलनाडु के हिन्दू कार्यकर्ता को बंदी बनाया

हिन्दुओं को हिन्दुओं की दुकानों से सामान खरीदने का आवाहन करना, इस देश में अपराध हो गया है, हिन्दू यह कब समझ पाएंगे ? यह स्थिति हिन्दू राष्ट्र अपरिहार्य करती है !

कोई महिला यदि अंगप्रदर्शनवाले वस्त्र परिधान करे, तब भी पुरुषों को असभ्य बर्ताव की अनुमति नहीं मिल जाती ! – केरल उच्च न्यायालय

किसी भी प्रकार के वस्त्र परिधान करने का अधिकार संसद द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को दिए गए स्वतंत्रता के अधिकार का एक भाग है । संविधान के अनुच्छेद २१ द्वारा प्रदत्त (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण), यह नागरिकाें का मूलभूत अधिकार है ।