भारतीय दंड संविधान और ‘पॉक्सो’ कानून ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ के ऊपर हैं ! – कर्नाटक उच्च न्यायालय

बंगलुरू (कर्नाटक) – ‘पॉक्सो’ कानून और भारतीय दंड संविधान ये दोनों ही ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ के ऊपर हैं, ऐसा कर्नाटक उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया । दो अलग-अलग प्रकरणों की सुनवाई करते समय यह बताया । १५ वर्ष की आयु से युवावस्था प्रारंभ होने से उस समय किया विवाह पर ‘बाल विवाह प्रतिबंध कानून’ लागू नहीं होता, ऐसा मुसलमान याचिकाकर्ताओं के कहने को न्यायालय ने नकार दिया ।

२७ वर्षीय युवक की पत्नी को प्रसव के लिए अस्पताल में लाने पर उसकी आयु १७ वर्ष है,ऐसा ग्यात हुआ । तब उस युवक के विरोध में बाल विवाह प्रतिबंध कानून और पॉक्सो कानून के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट किया गया था । दूसरे प्रकरण में एक १९ वर्षीय युवक ने १६ वर्षीय युवती का बलात्कार किया था । दोनों प्रकरणों में आरोपी और पीडित मुसलमान ही थे । दोनों प्रकरणों में आरोपियों के अधिवक्ताओं की ओर से ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ के आधार पर लडकियों की युवावस्था १५ वर्ष से प्रारंभ होने से यह अपराध नहीं होता’, ऐसा बताने का प्रयास किया गया । तब न्यायालय ने उपर्युक्त मत रखते हुए निर्णय सुनाया ।