महाकुंभनगरी में ‘महर्षि आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ की प्रदर्शनी शुरू !

श्रद्धालुओं को त्रिवेणी संगम, महाकुंभ मेला, गंगाजल आदि के बारे में आध्यात्मिक और वैज्ञानिक जानकारी मिलेगी !

दीप प्रज्वलित कर प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए, बाएं से, सद्गुरु नीलेश सिंघबाल, श्री. गौरीशंकर मोहता और श्री. कृष्णा मांडवा

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – महाकुंभ मेला, विभिन्न धार्मिक क्रियाकलाप, परम्पराएं, अनुष्ठान, पूजा-पाठ, गंगाजल, तीर्थ स्थल, साथ ही संगीत, नृत्य आदि के पीछे कितना विज्ञान छिपा है? प्रयागराज के महाकुंभ मेले में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा इसकी एक अनूठी प्रदर्शनी आयोजित की गई है। महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा इस कुंभ मेले में विभिन्न धार्मिक गतिविधियों पर वैज्ञानिक अनुसंधान भी किया जाएगा। इससे अब श्रद्धालुओं को प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के पावन संगम पर अध्यात्म और विज्ञान का अनूठा संगम देखने का अवसर मिलेगा। महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपील की गई कि हर किसी को इसका लाभ उठाना चाहिए । प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री. कृष्णा मांडवा, कु .ज्योत्सना गांधी और सुजाता ठक्कर ने सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय द्वारा २०१९ कुंभ मेले के दौरान किए गए शोध के निष्कर्ष भी सभी के समक्ष प्रस्तुत किए गए। जिसमें बताया गया कि अमृत स्नान के दौरान संगम के जल में विशेष आध्यात्मिक गुण पाए गए।

बायीं ओर से, श्री. कृष्णा मांडवा, कु. ज्योत्सना गांधी और सुजाता ठक्कर

इस बार श्री. कृष्ण मांडवा ने बताया कि प्रदर्शनी में अमृत स्नान के दौरान गंगा जल के सकारात्मक प्रभाव, त्रिवेणी संगम के जल के आध्यात्मिक स्पंदन तथा मानव जीवन पर इसके प्रभाव पर आधारित विशेष शोध वीडियो दिखाए जाएंगे।
एम.ए.वी. के संगीत एवं नृत्य विभाग ने ७०० से अधिक प्रयोग आयोजित किए हैं। प्रदर्शनी में भक्तिमय कथक नृत्य के विशेष वीडियो प्रस्तुत किए जाएंगे। प्रदर्शनी में २० वर्षों से एक्जिमा (त्वचा रोग) से पीड़ित एक व्यक्ति का उदाहरण भी प्रस्तुत किया जाएगा, जिसका नाम जप के माध्यम से एक्जिमा रोग ठीक हो गया।

इस अवसर पर सुजाता ठक्कर ने कहा कि ‘महर्षि आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ की स्थापना सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले द्वारा की गयी। विश्वविद्यालय का मिशन ऋग्वेद के प्रसिद्ध श्लोक ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम्’ (अर्थात् हम सम्पूर्ण विश्व को आर्य (सुसंस्कृत) बनाएं) से प्रेरित है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य साधना, सनातन वैदिक धर्म और भारतीय ज्ञान प्रणाली का प्रसार करके मानव जीवन को गुणकारी और सकारात्मक बनाना है। आध्यात्मिक शोध से यह सिद्ध हो चुका है कि भारतीय संस्कृति का प्रत्येक तत्व उच्च सकारात्मक ऊर्जा प्रसारित करता है।

 ‘महाकुंभ २०२५ ‘ में ‘ महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय ‘ की विशेष गतिविधियां 

‘ महाकुंभ २०२५ ‘ अवधि के दौरान, ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ ने त्रिवेणी संगम पर आध्यात्मिक शुद्धता और सकारात्मकता पर गहन शोध करने का निर्णय लिया है। शोध के मुख्य विषय इस प्रकार हैं।

१. अमृत ​​स्नान का प्रभाव : स्नान से पहले और बाद में भक्तों पर पड़ने वाले आध्यात्मिक प्रभावों का अध्ययन

२. जल, मिट्टी और वायु का परीक्षण : पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक कुंभ मेले में परीक्षण

३. कल्पवास का महत्व : कल्पवास के दौरान श्रद्धालुओं और पर्यावरण पर पडने वाले प्रभावों का अध्ययन

४. अक्षयवट का अध्ययन : कुंभ मेला अवधि के दौरान इसके आध्यात्मिक परिणामों का विश्लेषण किया जाएगा ।

  • प्रदर्शनी का उद्घाटन गीता भवन,ऋषिकेश ( उत्तराखंड ) के श्री. गौरीशंकर मोहता, हिन्दू जनजागृति समिति के धार्मिक प्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंघबाळ और श्री.कृष्णा मांडवा ने दीप प्रज्ज्वलित कर के किया ।
  • यह प्रदर्शनी प्रयागराज कुंभ मेले के सेक्टर ७ , कला कुंभ के सामने, कैलाशपुरी मार्ग पर लगाई गई है। यह प्रदर्शनी १५ जनवरी से १५ फरवरी, २०२५ तक सुबह ९ बजे से रात ९ बजे तक चलेगी।