पूजाविधि में समाहित घटकों पर भूमिपूजन अनुष्ठान का सकारात्मक परिणाम होना !

भूमि खरीदने के उपरांत ‘भूमि की शुद्धि होकर स्थानदेवता का आशीर्वाद मिले’, इस उद्देश्य से सर्वप्रथम भूमि का विधिवत पूजन किया जाता है ।

साधना द्वारा व्यसनाधीनता (मादक पदार्थाें की लत) पर अल्प कालावधि में मात कर सकते हैं ! – शॉन क्लार्क, फोंडा, गोवा

आध्यात्मिक शोध से दिखाई दिया है किसी व्यसन का ३० प्रतिशत कारण शारीरिक होता है, अर्थात मादक पदार्थाें पर निर्भर होता है, तथा ३० प्रतिशत मानसिक तथा ४० प्रतिशत आध्यात्मिक होता है ।

व्यक्ति के चेहरे के परिवर्तित हावभाव के अनुसार उसके द्वारा प्रक्षेपित स्पंदनों में भी परिवर्तन आना

व्यक्ति का चेहरा, विशेषतः उसकी आंखों के भाव मानो उसके मन के दर्पण होते हैं । उसके मन के विचारों का प्रतिबिंब उसके चेहरे पर दिखनेवाले हावभाव के रूप में स्पष्टता से दिखाई देता है ।

‘संगीत को पशु किस प्रकार प्रतिसाद देते हैं ?’ इस विषय पर महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा किए शोध के समय किन्नीगोळी (कर्नाटक) के प.पू. देवबाबा के आश्रम के गाय एवं बैल ने दिया प्रतिसाद !

‘जब गायन हो रहा था, उस समय चिटणीसजी के पीछे की सभी गाएं उठकर खडी हुईं तथा उनकी ओर देखने लगी । स्वर विस्तार सुनते समय ‘गौरी’ नामक गाय उनकी ओर मुडी एवं उनकी ओर जाने का प्रयास करने लगी । उसे बांधकर रखा था, इसलिए वह आगे नहीं जा पाई । गायन सुनते समय ‘गौरी’ की आंखों में आंसू निकल आएं ।

हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार (धार्मिक पद्धति से) विवाह संस्कार करने के कारण आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त तथा आध्यात्मिक पीडारहित वधू-वरों को मिले हुए आध्यात्मिक स्तर के लाभ

विवाह का वास्तविक उद्देश्य है – ‘दो जीवों का भावी जीवन एक-दूसरे के लिए पूरक एवं सुखी बनने के लिए ईश्वर के आशीर्वाद प्राप्त कर लेना !’ इसके लिए धर्मशास्त्र में बताए अनुसार विवाह संस्कार करना आवश्यक होता है ।

भगवान को नमस्कार करने की उचित पद्धति तथा उससे संबंधित शोध

‘देवालय में देवता के दर्शन करते समय हम दोनों हाथ जोडकर भगवान को नमस्कार करते हैं । दोनों हाथों के तलुओं को एक-दूसरे पर रखने से (अर्थात एक-दूसरे को चिपकाकर) जो मुद्रा बनती है, उसे ‘नमस्कार’ कहते हैं ।

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से ‘आभूषणों का व्यक्ति पर होनेवाला प्रभाव’ विषय पर फ्रांस में ‘ऑनलाइन’ पद्धति से शोधनिबंध का प्रस्तुतीकरण !

आध्यात्मिक दृष्टि से सकारात्मक आकार के आभूषण सात्त्विक स्पंदनों को आकर्षित कर सकते हैं तथा स्त्री को उसकी आध्यात्मिक प्रगति में लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं, तो दूसरी ओर आध्यात्मिक दृष्टि से नकारात्मक आकार के आभूषण रज-तमात्मक स्पंदनों को आकर्षित कर स्त्री के प्रभामंडल पर नकारात्मक प्रभाव करा सकते हैं ।

व्यक्ति जो आहार ग्रहण करता है, उसका व्यक्ति पर आध्यात्मिक स्तर पर होनेवाला परिणाम

पहले प्रयोग में व्यक्ति को उपाहार गृह में बनाए गए शाकाहारी (मिक्स वेज) एवं मांसाहारी (फिशफ्राई एवं चिकनफ्राई) पदार्थ खाने के लिए दिए गए । दूसरे प्रयोग में उसे सात्त्विक स्थान पर (सनातन के आश्रम में) बनाई गई सब्जी खाने के लिए दी गई ।

अगस्त २०२२ में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषदों में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा लिखित आध्यात्मिक शोधकार्य पर आधारित २ शोधनिबंधों का प्रस्तुतीकरण !

विश्वविद्यालय ने अक्टूबर २०१६ से ३१ अगस्त २०२२ की अवधि में १७ राष्ट्रीय तथा ७९ अंतरराष्ट्रीय, ऐसे कुल मिलाकर ९६ वैज्ञानिक परिषदों में शोधनिबंध प्रस्तुत किए हैं । विश्वविद्यालय को अभी तक कुल ११ अंतरराष्ट्रीय परिषदों में ‘सर्वाेत्कृष्ट प्रस्तुतीकरण पुरस्कार’ प्राप्त हुए हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी एवं श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के भ्रूमध्य पर दैवी चिन्ह अंकित होने का अध्यात्मशास्त्र !

आध्यात्मिक गुरुओं का कार्य जब ज्ञानशक्ति के बल पर चल रहा होता है, तब उनके सहस्रारचक्र की ओर ईश्वरीय ज्ञान का प्रवाह आता है और वह उनके आज्ञाचक्र के द्वारा वायुमंडल में प्रक्षेपित होता है ।