साधक की व्यक्तिगत आध्यात्मिक उन्नति तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही सनातन संस्था का उद्देश्य है ! – (पू.) अधिवक्ता हरि शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय

‘सहकार्य, समर्पण, संयम एवं अध्यात्म द्वारा हिन्दू राष्ट्रवाद प्राप्त कर सकते हैं’; यह संदेश देनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

‘भारतीय गणराज्य के क्षितिज पर वर्ष १९९० में जब अंधकार छाया हुआ था, उस समय सूरज की किरणें दिखने का आभास युगद्रष्टा परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने देश के कलुषित धर्मनिरपेक्षतावाद के विरोध में जनता को हिन्दू राष्ट्रवाद दिखलाने का कार्य किया । उन्होंने यह संदेश देते हुए कहा, ‘हिन्दू राष्ट्र बनाने से ही देश का अभीष्ट हो सकता है, साथ ही धर्मनिरपेक्षतावादी राजनीति केवल धनदोहन, सत्ताप्राप्ति एवं कलुषित राजनीतिक विचारधारा का ही पोषण कर सकती है । इन २४ वर्षाें में हिन्दू राष्ट्रवाद को सहयोग, समर्पण, संयम एवं अध्यात्म के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है ।’ परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के विचारों एवं ओजस्वी वक्तव्य से जनमानस को यह संदेश प्राप्त हुआ ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व से ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनाने की जो आधारशिला रखी है, उसे मूर्त रूप देने के लिए देश के जनमानस, विशेषकर युवा नवचेतना के साथ तैयार हो रहे हैं । भक्तियोग, ज्ञानयोग, ध्यानयोग आदि विविध योगमार्ग अपनानेवाले साधकों को उनकी व्यक्तिगत आध्यात्मिक उन्नति के लिए मार्गदर्शन करना, सनातन संस्था के कार्य का केंद्रबिंदु है । केवल इतना ही नहीं, अपितु हिन्दू धर्म के अध्यात्मशास्त्र का शास्त्रीय परिभाषा में प्रसार करना सनतान संस्था की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य है । देश के संविधान में ‘भारत हिन्दू राष्ट्र घोषित हो’; इसके लिए सनातन संस्था समाज में जागृति लाने हेतु अखंड प्रयास करती है ।

(पू.) अधिवक्ता हरि शंकर जैनजी

ऋषि-मुनियों एवं संत-महंतों द्वारा मान्यता प्राप्त धर्मशास्त्र को आधारभूत मानकर समाज, राष्ट्र एवं धर्म की उन्नति के लिए कार्य करनेवाली अग्रणी सनातन संस्था है । मैं विगत ९ वर्षाें से इस महान संस्था से जुडा हुआ हूं, साथ ही मैं प्रत्येक वर्ष सनातन आश्रम आता हूं । वहां जाने पर जिस आध्यात्मिक अनुभूति का अनुभव होता है, उसका शब्दों में वर्णन करना असंभव है । यहां लोगों के आचार-विचार, अनुशासन, स्वच्छता, मिलनसारिता, विनम्रता, सादगी एवं सनातन की परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलता है । वहां मुझे चैतन्य, आनंद एवं शांति की अनुभूति होती है ।

सनातन धर्म को अक्षुण्ण रखना, साथ ही सनातन समतामयी, धर्मवादी, प्रबल, प्रखर एवं अखंड हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना इस संस्था का उद्देश्य है । किसी भी राष्ट्रवादी संगठन का यह उद्देश्य होना ही चाहिए तथा उसकी ओर अग्रसर रहना सभी सनातनी हिन्दुओं का अधिकार तथा कर्तव्य भी है । मुझे लगता है कि परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के श्री वचनों पर चलते हुए हम अतिशीघ्र प्रखर एवं प्रचंड हिन्दू राष्ट्र बनाने में सफल होंगे ।’