सनातन के आश्रमों में विविध जाति-पंथों के साधक आनंद से आश्रमजीवन व्यतीत कर रहे हैं । यहां आध्यात्मिक प्रगति हेतु पोषक वातावरण होता है । आश्रम में रहकर साधना करने से साधकों में व्यापकता, खुलापन, त्याग आदि साधना हेतु पोषक विविध गुण विकसित होते हैं । यहां कुछ उदाहरण छायाचित्र स्वरूप में दिए हैं ।
साधक बीमार हो तो आश्रम के साधक-डॉक्टर उनकी सेवा करते हैं । रोगी को घर नहीं जाना पडता ।
सर्वस्व का त्याग कर आए साधक आश्रम में बिना वेतन लिए सेवा आनंद से करते हैं ।
दोष व अहं-निर्मूलन प्रक्रिया द्वारा उत्तम साधक निर्माण किया जाता है ।
व्यवस्थितता : प्रत्येक वस्तु व्यवस्थित निर्धारित स्थान पर रखी जाती है ।
‘हिन्दुत्व के आधारस्तंभ’ पुरस्कार देकर, सनातन संस्था का सम्मान !
१५ फरवरी २०२४ को देहरादून (उत्तराखंड) में ‘वेदशास्त्र रिसर्च एंड फाउंडेशन’ की ओर से ‘हिन्दुत्व के आधारस्तंभ’ बनकर कामे करनेवालों को तथा विविध क्षेत्र मे उल्लेखनीय काार्य करनेवालों को ‘देवभूमि रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया । सनातन संस्था को प्रदान किया गया ‘हिन्दुत्व के आधारस्तंभ’ पुरस्कार संस्था के धर्मप्रचारक श्री. अभय वर्तक ने स्वीकार किया ।
सनातन के देवद आश्रम के विषय में कुछ अधिवक्ताओं के अभिमत
१. अधिवक्ता श्रीराम ठोसर – आश्रम चैतन्यदायी है । सनातन संस्था और ‘सनातन प्रभात’ के कार्य आज हिन्दू राष्ट्र निर्मिति के लिए, देवता-धर्म का कार्य जैसे आवश्यक है, वैसे ही चल रहा है । हम यथाशक्ति इस कार्य में साथ हैं ।
२. अधिवक्ता सौरभ पाटील – आश्रम में प्रवेश करते समय अनोखे सकारात्मक स्पंदन (पॉजिटिव वाइब्रेशन्स) प्रतीत हुए । वातावरण बहुत प्रसन्न है । आश्रम में विविध राष्ट्र-धर्म संबंधित उपक्रम देखकर बहुत अच्छा लगा ।
३. अधिवक्ता सविता पिंगळे – अत्यंत सुंदर व्यवस्था, एकाग्र चिंतन के लिए उत्तम स्थान है ।