सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के कक्ष की दीवार पर प्रकाश के कारण दिख रहे सप्तरंग
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ‘विश्वगुरु’ हैं । इसलिए उनमें विश्व की समस्त दैवी शक्तियां और सप्तदेवताओं के तत्त्व आवश्यकता के अनुसार प्रकट होकर इच्छा, क्रिया और ज्ञान, इन तीन स्तरों पर कार्यरत होते हैं ।