प्राकृतिक पद्धति से लगाई गई शकरकंद के एक अंकुर से ३ माह में २ किलो से भी अधिक शकरकंद मिलना
‘हम छोटी-सी भी कृति करते हैं, तो भगवान कितना देते हैं’, इसकी ही यह अनुभूति है ।
हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार (धार्मिक पद्धति से) विवाह संस्कार करने के कारण आध्यात्मिक पीडा से ग्रस्त तथा आध्यात्मिक पीडारहित वधू-वरों को मिले हुए आध्यात्मिक स्तर के लाभ
विवाह का वास्तविक उद्देश्य है – ‘दो जीवों का भावी जीवन एक-दूसरे के लिए पूरक एवं सुखी बनने के लिए ईश्वर के आशीर्वाद प्राप्त कर लेना !’ इसके लिए धर्मशास्त्र में बताए अनुसार विवाह संस्कार करना आवश्यक होता है ।
विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडली मिलाने का महत्त्व
‘हिन्दू धर्म में बताए अनुसार सोलह संस्कारों में से ‘विवाह संस्कार’ महत्त्वपूर्ण संस्कार है । विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडलियों के मिलान की पद्धति भारत में पहले से ही प्रचलित है ।
समाज मन पर हिन्दू धर्म, भारतीय संस्कृति एवं साधना का महत्त्व अंकित कर उसे कार्यप्रवीण बनानेवाले स्वामी विवेकानंदजी !
आप यदि धर्म छोडकर जड को सर्वस्व माननेवाली पश्चिमी सभ्यता के पीछे दौडेंगे, तो आप तीन पीढियों में ही नष्ट हो जाएंगे । हिन्दुओं ने धर्म छोड दिया, तो हिन्दुओं के जीवन की रीढ ही टूट जाएगी, इसे आप समझ लें ।
प्रखर देशप्रेमी एवं स्वाभिमानी महाराणा प्रताप !
महाराणा प्रताप का संबंधी राजा मानसिंह अकबर के अधीन हो चुका था । बादशाह के दरबार में वह बडे ऐशोराम से रह रहा था । जब उसे महाराणा प्रताप की दयनीय स्थिति के विषय में ज्ञात हुआ, उस समय वह उनसे मिलने वन में गया ।
समय का सदुपयोग हो, इसके लिए करने योग्य आवश्यक प्रयास !
नित्य जीवन में हमें कुछ मात्रा में खाली समय उपलब्ध होता है । ‘इस खाली समय का विनियोग कैसे किया जाए ?’, यह उस व्यक्ति पर, साथ ही उस समय की प्राप्त परिस्थिति पर निर्भर होता है । काल की प्राप्त परिस्थिति निरंतर परिवर्तित हो सकती है; परंतु व्यक्ति पर निर्भर खाली समय का हम उपयोग कर सकते हैं ।
सर्वोच्च न्यायालय ने इमामों को वेतन देने की अनुमति दी !
देहली के श्री. सुभाष अग्रवाल, सूचना अधिकार कार्यकर्ता ने ‘देहली वक्फ बोर्ड’ से पूछा कि अब तक विविध इमामों को कितना वेतन दिया गया है ?’, इसकी जानकारी मांगी थी; परंतु अनेक दिन बीत जाने पर भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई ।
पेड-पौधों को अत्यधिक पानी डालना टालें !
‘केवल पानी देने का समय हो गया; इसलिए पेड-पौधों को प्रतिदिन पानी डाल दिया, ऐसा न करते हुए पेड-पौधों एवं मिट्टी का निरीक्षण कर आवश्यकता होने पर ही पानी दें ।
‘वैलेंटाइन डे’ की पश्चिमी प्रथा छोडें !
पिछले कुछ वर्षों से ‘१४ फरवरी’ को ‘वैलेंटाइन डे’ अर्थात ‘प्रेम दिवस’ के रूप में मनाते हैं । युवाओ, क्या वास्तविक प्रेम एक दिन का ही होता है ? ‘वैलेंटाइन डे’ का प्रचलन अब सर्वत्र बढ रहा है ।