अयोध्या स्थित राम मंदिर निर्माण की दिव्य घटना !!

ये रामनामधारी शिलाएं ‘अयोध्या में राममंदिर बनाने के साथ साधकों के मन में आत्माराम की स्थापना हो, अखिल भारत भूमि राममय हो’, इस संकल्प की वाहक हैं ।

रामजन्मभूमि आंदोलन में धर्मप्रेमी हिन्दुत्वनिष्ठों का अमूल्य योगदान !

उन दिनों में श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन प्रतिदिन तीव्र बनता जा रहा था तथा उसका नेतृत्व विश्व हिन्दू परिषद ने (विहिप ने) किया था । रा.स्व. संघ इस आंदोलन का समर्थन करे, यह विहिप की अपेक्षा थी तथा संघ ने वैसा किया भी । जिस परिसर में विहिप का कार्य अल्प था अथवा नहीं था, वहां संघ ने दायित्व लिया ।

रामजन्‍मभूमि मुक्‍ति का अविरत संघर्ष ! 

रामजन्‍मभूमि मुक्‍ति हेतु कुल ७६ लडाईयां हुईं, यह इतिहास है । ईसापूर्व १५० में सर्वप्रथम ग्रीक राजा मिनंडर (मिलिंद) ने आक्रमण कर अयोध्‍या स्‍थित श्रीरामपुत्र कुश द्वारा निर्मित मंदिर ध्‍वस्‍त किया । आगे जाकर शुंगकाल में मिनंडर की पराजय होने पर रामजन्‍मभूमि मुक्‍त हुई; किंतु अयोध्‍या को उसका गतवैभव कुछ मात्रा में पुनः प्राप्‍त हुआ ईसापूर्व १०० के आसपास !

उत्तरकाशी (उत्तराखंड) में हुई सुरंग की दुर्घटना से क्या आध्यात्मिक स्तर पर बोध लेंगे ?

देवभूमि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में १२ नवंबर को सिल्कियारा सुरंग का कुछ अंश गिरने की दुर्घटना में सुरंग में फंसे ४१ श्रमिक १७ दिन उपरांत बाहर निकले । इस घटना की गहराई में जाने पर आध्यात्मिक दृष्टिकोण से ध्यान में आए कुछ सूत्र यहां दे रहे हैं ।

राष्ट्रीय सुरक्षा में भारतीय नौसेना का महत्त्वपूर्ण योगदान !

भारतीय नौसेना विश्व की ५ वें क्रम की नौसेना है । भारतीय महासागर क्षेत्र में संतुलन एवं सुरक्षा बनाए रखने का कार्य नौसेना करती है ।

‘डीपफेक’ के द्वारा स्वयं की जानकारी चोरी न हो; इसके लिए क्या सतर्कता बरतें ?

कृत्रिम बुद्धि की सहायता से छायाचित्रों एवं वीडियो में परिवर्तन कर किसी के चेहरे को अन्य व्यक्ति के शरीर पर लगाकर ‘डीपफेक’ तैयार किए जाते हैं । इस डीपफेक को पहचानना कठिन है

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में समाजमानस बनानेवाला ‘सनातन प्रभात’ !

‘सनातन प्रभात’ के पाठक, वितरक, शुभचिंतक, विज्ञापनदाता, हिन्दुत्वनिष्ठ आदि सभी सनातन परिवार के एक अविभाज्य अंग ही हैं ! इस अंक के उपलक्ष्य में होनेवाला विचारों का आदान-प्रदान तो हमारे लिए संपूर्ण वर्ष के ज्ञान का संग्रह है ।

‘सनातन प्रभात’ की यात्रा के कुछ विशेष क्षणों के छायाचित्र !

दैनिक के रत्नागिरी संस्करण के प्रकाशन समारोह में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी (वर्ष १९९९)

‘सनातन प्रभात’ के ‘ई-पेपर’ का एक संत द्वारा बनाया सूक्ष्म चित्र !

मारक शक्ति के कणों का ‘ई-पेपर’ से वातावरण में, साथ ही उसे पढनेवाले व्यक्ति की ओर प्रक्षेपण होनेसे व्यक्ति को धर्म का महत्त्व समझ में आता है तथा वह व्यक्ति साधना, साथ ही धर्मकार्य करने हेतु प्रेरित होता है ।

पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मान्यवरों एवं पाठकों की प्रतिक्रियाएं !

धर्म की रक्षा, उसकी स्थापना तथा दुष्प्रवृत्तियों के विनाश हेतु ही ‘सनातन प्रभात’ का जन्म !