रामराज्य तथा उसकी प्रजा कैसी थी ? – श्री. दुर्गेश जयवंत परुळकर, हिन्दुत्वनिष्ठ व्याख्याता तथा लेखक, डोंबिवली, मुंबई

श्रीराम के कार्यकाल में विधवा स्त्रियों का विलाप सुनाई नहीं देता था । किसी भी हिंस्र पशु का किसी को उपद्रव नहीं होता था, साथ ही समस्त जनता स्वस्थ थी । उस काल में चोरी, मारपीट, डाका जैसी घटनाएं नहीं होती थी ।

अयोध्या का राममंदिर और इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जानेवाला सोमपुरा घराने का अद्वितीय कार्य !

अयोध्या के राममंदिर का ढांचा (डिजाइन) वास्तु शिल्पकार श्री. चंद्रकांत सोमपुरा (आयु ८० वर्ष) ने बनाया ! श्री. चंद्रकांत सोमपुरा ने ३० वर्षाें से भी अधिक काल तक राममंदिर कैसा होना चाहिए, इसपर मन:पूर्वक चिंतन और परिश्रम किए हैं ।

विहिप हनुमानजी के समान राममंदिर के लिए ४ दशक लडी; परंतु कभी श्रेय नहीं लिया ! – विनोद बंसल, राष्ट्रीय प्रवक्ता, विहिप

अयोध्या का नाम आते ही भगवान श्रीराम की जन्मभूमि और उसके लिए निरंतर संघर्ष करनेवाले एक संगठन का नाम अनायास ही मानस पटल पर उभर आता है । और वह है, विश्व हिन्दू परिषद ! आइए, राममंदिर निर्माण का इतिहास जानते हैं, इन्हीं से !

राममंदिर में गूंजेगी दक्षिण भारत की घंटा !

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राममंदिर का निर्माणकार्य पूर्ण होने को है । अयोध्या के राममंदिर में १०८ घंटा लगाई जाएंगी तथा इसके लिए तमिलनाडु के नमक्कल जिले के ‘श्री अंदल मोल्डिंग वर्क्स’ को ये घंटा बनाने का कार्य सौंपा गया है ।

कारसेवा की अवधि में तत्कालीन बिहार राज्य में हिन्दुओं की रक्षा हेतु किया अतुलनीय कार्य !

रामजन्मभूमि आन्दोलन के संदर्भ में डॉ. नील माधव दासजी के अनुभव

‘रामलला विराजमान’ की ओर से ४० वर्ष तक संघर्ष करनेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन् !

अधिवक्ता के. परासरन् का रामजन्मभूमि प्रकरण का इतना अध्ययन है कि वे कई बार न्यायालय के सामने बोलते-बोलते ही महत्त्वपूर्ण दिनांक बहुत ही सहजता से बताते थे । वे उंगलियों पर गणना कर ‘कौन-से दिन क्या हुआ था ?’, यह बताते थे ।

विश्वविख्यात पुरातत्व विशेषज्ञ ब्रिज बासी लाल का रामजन्मभूमि अभियोग में योगदान !

वर्ष १९७५ से १९८० तक उन्हें रामजन्मभूमि परिसर में स्थित १४ स्थानों का शोधकार्य सौंपा गया था । तब उन्होंने बाबरी के ढांचे के नीचे और उस परिसर में व्यापक खुदाई की, जिससे उन्होंने प्रमाणित किया कि बाबरी पूर्व काल में उसी स्थान पर हिन्दुओं का भव्य मंदिर था ।

राममंदिर से रामराज्य (हिन्दू राष्ट्र) की ओर !

छोटे बच्चों को भी रामराज्य का सपना देखना सिखाना होगा । उन्हें विद्यालयों में रामराज्य की निर्मिति के संस्कार देने होंगे । इसका आरंभ हम राममंदिर के पुनर्निर्माण से कर सकते हैं । हमें उससे प्रेरणा लेकर रामराज्य की ओर अग्रसर होना आरंभ करना है ।

जनवरी २०२४ में अयोध्या के श्रीराम मंदिर में श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की जाएगी, उस समय वहां सूक्ष्म से होनेवाली प्रक्रिया का एक संत द्वारा किया गया परीक्षण

मंदिर के नीचे श्रीरामतत्त्व कार्यरत था ही; परंतु अनेक वर्ष तक वह (श्रीरामतत्त्व) अवरोधित था । भले ही ऐसा हो; परंतु अभी भी वहां श्रीरामतत्त्व बना हुआ है ।

आइए, अयोध्या में निर्माणाधीन प्रभु श्रीरामचंद्र के भव्य मंदिर के भावपूर्ण दर्शन करें !

अयोध्या श्री राम मंदिर के चैतन्यदायी छायाचित्रमय दर्शन