उत्तर प्रदेश तथा बिहार में नवरात्रि के पावन अवसर पर सनातन संस्था द्वारा धर्मप्रसार

शारदीय नवरात्रि निमित्त उत्तर प्रदेश के कानपुर, अयोध्या, भदोही में तथा बिहार के समस्तीपुर और गया में ६ प्रवचन हुए; जिसमें जिज्ञासुओं को देवी पूजा से संबंधित शास्त्रों की जानकारी दी गई । इसका लाभ अनेकों देवी भक्तों ने उठाया ।

Telangana Durga Idol Vandalized : अज्ञात व्यक्तियों द्वारा भाग्यनगर (तेलंगाना) में दुर्गा पूजा मंडप में श्री दुर्गा देवी की मूर्ति की तोड़फोड़

  उक्त चित्र प्रकाशित करने का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाएं आहत करना नहीं है । केवल जानकारी के लिए प्रकाशित किया गया है । – संपादक भाग्यनगर (तेलंगाना) – यहां नामपल्ली प्रदर्शनी मैदान में श्री दुर्गामाता की मूर्ति अज्ञात व्यक्तियों द्वारा खंडित कर दी गई। घटना की जानकारी मिलने पर बेगम बाजार थाने की … Read more

शारदीय नवरात्रि : देवी महिमा, शक्तिपीठ दर्शन एवं अध्यात्मशास्त्र

मंदिर में देवी की स्वयंभू मूर्ति है । मंदिर की रचना वृत्ताकार गुंबद की भांति है, साथ ही पूर्व में मंदिर का प्रवेशद्वार है तथा देवी की मूर्ति दक्षिणमुखी है । मंदिर में उत्तर की दिशा में स्थित शिलाखंड पर देवी के ३ नेत्र हैं । देवी के गले में सर्पमाला एवं मुंडमालाएं हैं ।

नवरात्रि का शास्त्र एवं इतिहास

श्रीरामचंद्रजी के हाथों रावण का वध हो, इस उद्देश्य से नारदमुनि ने श्रीराम को नवरात्रि का व्रत करने के लिए बताया । तत्पश्चात यह व्रत पूर्ण कर श्रीराम ने लंका पर चढाई कर, रावण का वध कर दिया ।

अखंड ज्योतिस्वरूप कांगडा, हिमाचल प्रदेश की श्री ज्वाला देवी !

हिमाचल प्रदेश में श्री ज्वालादेवी का मंदिर देश के महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से तथा ५१ शक्तिपीठों में से एक है ।

नवरात्रि के काल में होनेवाली धर्महानि रोकें तथा ‘आदर्श नवरात्रोत्सव’ मनाए जाने हेतु प्रयास कर देवी की कृपा प्राप्त करें !

‘३.१०.२०२४ से नवरात्रोत्सव आरंभ हो रहा है । पूरे देश में बडे उत्साह एवं भक्तिभाव से यह उत्सव मनाया जाता है । इस काल में देवीतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना कार्यरत होता है । नवरात्रि के उपलक्ष्य में व्यापक धर्मप्रसार होने हेतु निम्न प्रयाास कर देवी की कृपा प्राप्त करें ।

Navaratri : नवरात्रि की सप्तमी तिथि का महत्व

नवरात्रि की सप्तमी तिथि को श्री दुर्गादेवी के असुर, भूत-प्रेत इत्यादि का नाश करनेवाले ‘कालरात्रि’ रूप की पूजा की जाती है।

Navaratri : देवी तत्त्व के अधिकतम कार्यरत रहने की कालावधि अर्थात नवरात्रि ।

श्री दुर्गादेवी नवरात्रि के नौ दिनों में संसार का तमोगुण घटाती हैं और सत्त्वगुण बढाती हैं ।

Navaratri : नवरात्रि में जागरण तथा उपवास करने का महत्त्व

उपवास करने से व्यक्ति का रजोगुण तथा तमोगुण घटता है तथा देह की सात्त्विकता बढती है । ऐसा सात्त्विक देह वातावरण से शक्तितत्त्व को अधिक ग्रहण करने के लिए सक्षम बनता है ।

Navaratri : अखंड दीपप्रज्वलन

नवरात्रि की कालावधि में वायुमंडल में शक्तितत्त्व की तेज तरंगे कार्यरत रहती हैं । दीपक तेज का प्रतीक होता है । अखंड ज्योत में इन्हें ग्रहण करने की क्षमता होती है । अत: अखंड दीप प्रज्वलन से यह दीप की ओर आकृष्ट होती हैं ।