नवरात्रि के काल में होनेवाली धर्महानि रोकें तथा ‘आदर्श नवरात्रोत्सव’ मनाए जाने हेतु प्रयास कर देवी की कृपा प्राप्त करें !

साधकों को सूचना तथा धर्मप्रेमियों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों से अनुरोध !

‘३.१०.२०२४ से नवरात्रोत्सव आरंभ हो रहा है । पूरे देश में बडे उत्साह एवं भक्तिभाव से यह उत्सव मनाया जाता है । इस काल में देवीतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना कार्यरत होता है । नवरात्रि के उपलक्ष्य में व्यापक धर्मप्रसार होने हेतु निम्न प्रयाास कर देवी की कृपा प्राप्त करें ।

१. देवी मंदिर के न्यासियों एवं पुजारियों से संपर्क करना

अ. मंदिर के न्यासियों एवं पुजारियों से मिलकर उन्हें नामजप-पट्टियां प्रायोजित करने के लिए कहें ।

आ. देवी को कुमकुमार्चन करने हेतु पुजारियों को सनातन के कुमकुम का उपयोग करने हेतु प्रेरित करें ।

इ. देवी के मंदिरों के पास सनातन द्वारा प्रकाशित ग्रंथ, लघुग्रंथ, सात्त्विक उत्पाद एवं पंचांग की दर्शनी लगाएं ।

ई. ‘शास्त्रोक्त पद्धति से देवी की उपासना कैसे करनी चाहिए ?’ इस विषय में अमूल्य ज्ञान देनेवाले तथा धर्मशिक्षा के प्रति सामान्य लोगों को अवगत करानेवाले फ्लेक्स भी मंदिर में लगाए जा सकते हैं ।

२. नवरात्रोत्सव मंडलों के आयोजकों से मिलना

अ. धर्मशास्त्र के अनुसार यह उत्सव मनाने हेतु, साथ ही व्यापक धर्मप्रसार होने हेतु नवरात्रोत्सव मंडलों के आयोजकों से आवाहन किया जा सकेगा । इसके लिए हम धर्मशिक्षावर्ग के धर्मप्रेमियों तथा हिन्दुत्वनिष्ठों से भी सहायता ले सकते हैं ।

आ. अनेक मंडल देवी की असात्त्विक मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करते हैं, अतः उन्हें धर्मशास्त्र के अनुसार उचित मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करने हेतु प्रेरित करें ।

इ. मंडलों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । उसमें ‘शक्ति की उपासना का महत्त्व’, ‘साधना’, ‘हिन्दू राष्ट्र क्यों आवश्यक ?’ आदि विषयों पर प्रवचन आयोजित कर सकते हैं । ‘हिन्दू युवक-युवतियों के लिए स्वरक्षा प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता’, यह विषय रखकर उसके प्रदर्शन भी दिखा सकते हैं ।

ई. मंडल में आयोजित की जानेवाली प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरस्कार के रूप में, साथ ही कार्यक्रमों के लिए मंडलों का अवलोकन करने आनेवाले अतिथियों को भेंटवस्तु के रूप में सनातन के ग्रंथ, लघुग्रंथ, साथ ही अन्य उत्पाद लेना सुझाएं ।

उ. देवीपूजन हेतु अगरबत्ती, कर्पूर, कुमकुम, अष्टगंध आदि सनातन-निर्मित सात्त्विक उत्पादों का उपयोग करने का अनुरोध करें ।

३. जनमानस का उद्बोधन तथा व्यापक संगठन करना

अ. देवीतत्त्व का अधिकाधिक लाभ उठाने हेतु देवीभक्तों की सहायता से सामूहिक रूप से ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः’ नामजप करने का नियोजन करें ।

आ. अनेक लोग नवरात्रि में प्रतिदिन कुमारिका की पूजा कर उसे भोजन एवं भेंटवस्तुएं देते हैं । इस उपलक्ष्य में कुमारिकाओं को सनातन की ‘बालसंस्कार’ शृंखला के अंतर्गत ‘बोधकथा’, ‘अध्ययन कैसे करें ?’, ‘सुसंस्कार एवं उत्तम व्यवहार’ आदि ग्रंथ भेंट के रूप में दिए जा सकते हैं ।

इ. डांडिया, गरबा आदि माध्यमों से घिनौना नृत्य करना, अश्लील अंगविक्षेप करना आदि अप्रिय घटनाएं हो रही हैं, साथ ही ‘लव जिहाद’ जैसी घटनाएं भी बढ रही हैं । इसके कारण इस पवित्र नृत्योपासना का रूप विकृत हो गया है । इस विषय में युवक-युवतियों का उद्बोधन करें ।

नवरात्रोत्सव से होनेवाली धर्महानि रोकने के लिए संवैधानिक मार्ग से प्रयास कर उत्सव की पवित्रता बनाए रखना, यह प्रत्येक देवीभक्त का कर्तव्य है । ये अपप्रकार रोककर ‘आदर्श नवरात्रोत्सव’ मनाना एवं अन्यों को भी उसके लिए प्रेरित करना, यह देवी की श्रेष्ठ श्रेणी की उपासना सिद्ध होगी !’

(२८.८.२०२४)