कुछ देवियों की उपासना की विशेषताएं

किसी में देवी की शक्ति सहन करने की क्षमता न हो, तो प्रथम शांतादुर्गा, फिर दुर्गा का और अंत में महिषासुरर्मिदनी का आवाहन करते हैं । इससे देवी की शक्ति सहन करने की क्षमता धीरे-धीरे बढने लगती है एवं महिषासुरर्मिदनी की शक्ति सहनीय हो जाती है ।

कालानुसार आवश्यक देवीमांकी उपासना

मूर्ति शास्त्रानुसार बनाई जाए, तो ही देवताका तत्त्व आकृष्ट होता है । ध्यान रहे, जहां देवताका शब्द अर्थात नाम है, वहां उनकी शक्ति भी होती है । इसलिए ऐसा करना अनुचित है । श्रद्धा, देवताओंकी उपासनाकी नींव है । देवताओंका अनादर श्रद्धाको क्षति पहुंचाता है ।