कोलकाता में नवरात्रोत्सव पंडाल में श्रीदुर्गादेवी को वेश्या के रूप में दर्शाया !

आज समाज में कोई भी उठता है और हिन्दू धर्म शास्त्रों के विरोध में कुछ भी बताकर उसके अनुसार कृति करने का प्रयत्न करता है, ऐसे लोगों का प्रतिवाद करने के लिए अब धर्माचार्यों को आगे आना आवश्यक है !

देवी की मूर्ति पर कुमकुमार्चन कैसे करें ?

देवी को कुमकुमार्चन करने की दो पद्धतियां, कुमकुमार्चन करने से होनेवाले सूक्ष्म-स्तरीय लाभ दर्शानेवाले चित्र आदि का उल्लेख इस लेख में किया गया है । सूक्ष्म-ज्ञान संबंधी लाभ दर्शानेवाले चित्रों के कारण यह विषय पाठकों के लिए समझना सुलभ होगा ।

अब श्रीदुर्गादेवी की पूजा करने के कारण भाजपा नेता रुबी खान को मुसलमानों की ओर से जान से मारने की धमकियां !

किसी मुसलमान ने हिन्दुओं के समान धार्मिक कृति की, तो मुसलमान उसका विरोध करते हैं, यदि हिन्दुओं ने मुसलमानों समान धार्मिक कृति की, तो उसकी प्रशंसा की जाती है, यह ध्यान में लें !

नवरात्रीके विविध विधी

जगत्‌का पालन करनेवाली जगत्पालिनी, जगदोद्धारिणी मां शक्तिकी उपासना हिंदु धर्ममें वर्ष में दो बार नवरात्रिके रूपमें, विशेष रूपसे की जाती है ।

बांगलादेश में हिन्दू क्रिकेट खिलाडी लिटन दास को धर्मपरिवर्तन के लिए धमकियां !

यह है इस्लामी देशों में हिन्दुओं की स्थिति ! भारत के अल्पसंख्यक खतरे होने की आवाज उठाने वाले अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन अब चुप क्यों ? भारत सरकार को ऐसे संगठनों से और बांगलादेश सरकार से उत्तर पूछना चाहिए !

श्री दुर्गादेवीतत्त्व आकर्षित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां

विशेषकर मंगलवार एवं शुक्रवारके दिन देवीपूजनसे पूर्व तथा नवरात्रिकी कालावधिमें घर अथवा देवालयोंमें देवीतत्त्व आकृष्ट  एवं प्रक्षेपित करनेवाली सात्त्विक रंगोलियां बनाएं । आगे श्री दुर्गादेवीतत्त्व आकृष्ट एवं प्रक्षेपित करनेवाली कुछ रंगोलियां दी हैं ।

नवरात्रिकी कालावधिमें उपवास करनेका महत्त्व

उपवास करनेसे व्यक्तिके देहमें रज-तमकी मात्रा घटती है और देहकी सात्त्विकतामें वृद्धि होती है । ऐसा सात्त्विक देह वातावरण में कार्यरत शक्तितत्त्वको अधिक मात्रामें ग्रहण करनेके लिए सक्षम बनता है ।

देवी की मूर्ति गिरने पर तथा भग्न होने पर क्या करें ?

‘मूर्ति नीचे गिर गई; परंतु भग्न नहीं हुई, तो प्रायश्‍चित नहीं लेना पडता । ऐसे में केवल उस देवता की क्षमा मांगें तथा तिलहोम, पंचामृत पूजा, दुग्धाभिषेक इत्यादि विधि अध्यात्म के अधिकारी व्यक्ति के मार्गदर्शन में करें ।

नवरात्रिमें आधुनिक गरबा : संस्कृतिका जतन नहीं; बल्कि पतन !

हिंदुओ, हमाारे सार्वजनिक उत्सवोंका विकृतिकरण हो रहा है । अधिकांश लोग उत्सव मनाने के धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक कारण को भूलकर केवल मौजमस्ती इस एक ही दृष्टिसे उत्सवोंकी ओर देखते हैं ।

नवरात्रि : बाजारीकरण एवं संभाव्य धोखे !

हिन्दुओं के उत्सवों में आजकल अपप्रवृत्तियों ने प्रवेश कर लिया है । उत्सवों का बाजारीकरण होने से हिन्दू उत्सव मनाने का मूल उद्देश्य एवं उसका मूल शास्त्र भूल रहे हैं । हिन्दुओं की भावी पीढी तो उत्सवों में जो अपप्रवृत्तियां प्रवेश हो गईं हैं, उन्हें ही उत्सव समझने लगी हैं । यह स्थिति अत्यंत बिकट है ।