नवरात्रि के काल में होनेवाली धर्महानि रोकें तथा ‘आदर्श नवरात्रोत्सव’ मनाने के लिए प्रयास कर देवी की कृपा प्राप्त करें !

साधकों को सूचना तथा धर्मप्रेमियों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों से अनुरोध !

‘१५.१०.२०२३ से नवरात्रोत्सव का आरंभ हो रहा है । यह उत्सव संपूर्ण देश में बडे उत्साह एवं भक्तिभाव से मनाया जाता है । इस काल में देवीतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना कार्यरत होता है । नवरात्रि के उपलक्ष्य में व्यापक धर्मप्रसार होने की दृष्टि से निम्न प्रयास कर देवी की कृपा प्राप्त करें ।

१. देवी के मंदिर के न्यासियों एवं पुजारियों से संपर्क करना

अ. मंदिर के न्यासियों एवं पुजारियों से मिलकर उन्हें कुलदेवता की नामजप-पट्टियां प्रायोजित करने के लिए कहें ।

आ. देवी को कुमकुमार्चन करने के लिए सनातन के कुमकुम का उपयोग करने के लिए पुजारियों को प्रेरित करें ।

इ. देवी के मंदिर के पास सनातन द्वारा प्रकाशित ग्रंथ-लघुग्रंथ, सात्त्विक उत्पाद एवं पंचांग की प्रदर्शनी लगाएं ।

ई. ‘शास्त्रोक्त पद्धति से देवी की उपासना कैसे करें ?’, मंदिर में इस विषय में अमूल्य ज्ञान प्रदान करनेवाले तथा धर्मशिक्षा के विषय में सामान्य लोगों का उद्बोधन करनेवाले फ्लेक्स फलक भी लगाए जा सकते हैं ।

२. नवरात्रोत्सव मंडल के प्रमुखों से मिलना

अ. धर्मशास्त्र के अनुसार यह उत्सव मनाने के लिए, साथ ही इस अवधि में व्यापक धर्मप्रसार होने के लिए नवरात्रोत्सव मंडलों के प्रमुखों से आवाहन कर सकते हैं । इसके लिए धर्मशिक्षा वर्ग के धर्मप्रेमियों एवं हिन्दुत्वनिष्ठों से सहायता ले सकते हैं ।

आ. अनेक मंडल देवी की असात्त्विक मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा करते हैं । उन्हें धर्मशास्त्र के अनुसार उचित मूर्ति की प्रतिष्ठापना करने के लिए प्रेरित करें ।

इ. मंडलों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है । उसमें ‘शक्ति की उपासना का महत्त्व’, ‘साधना’, ‘हिन्दू राष्ट्र क्यों चाहिए ?’ आदि विषयों पर आधारित प्रवचनों का आयोजन किया जा सकता है । ‘हिन्दू युवक-युवतियों को स्वरक्षा प्रशिक्षण लेने की आवश्यकता’ विषय प्रस्तुत कर उसके प्रदर्शन भी दिखाए जा सकते हैं ।

ई. मंडल में आयोजित की जानेवाली प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरस्कार के रूप में, साथ ही कार्यक्रमों के लिए मंडलों से मिलनेवाले अतिथियों को भेंटवस्तुओं के रूप में सनातन के ग्रंथ, लघुग्रंथ, साथ ही अन्य उत्पाद देने के लिए सुझाएं ।

उ. देवीपूजन के लिए अगरबत्ती (उदबत्ती), कर्पूर, कुमकुम, अष्टगंध आदि सनातन-निर्मित सात्त्विक उत्पादों का उपयोग करने का अनुरोध करें ।

३. जनसामान्य का उद्बोधन एवं व्यापक संगठन करना

अ. देवीतत्त्व का अधिकाधिक लाभ होने के लिए देवीभक्तों की सहायता से सामूहिक पद्धति से ‘श्री दुर्गादेव्यै नमः’ नामजप करने का नियोजन करें ।

आ. अनेक लोग नवरात्रि में कुमारिका की प्रतिदिन पूजा कर उसे भोजन एवं भेंटवस्तुएं देते हैं । कुमारिका को सनातन की ‘बालसंस्कार’ ग्रंथमाला के अंतर्गत प्रकाशित ‘बोधकथा’, ‘अध्ययन कैसे करें ?’, ‘सुसंस्कार एवं उत्तम व्यवहार’ आदि ग्रंथ भेंट किए जा सकते हैं ।

इ. नवरात्रि में डांडिया, गरबा आदि माध्यमों से घिनौना नृत्य करना, अश्लील अंगविक्षेप करना आदि अप्रिय घटनाएं हो रही हैं, साथ ही ‘लव जिहाद’ जैसी घटनाएं भी बढ रही हैं; इसलिए इस पवित्र नृत्योपासना को विकृत स्वरूप प्राप्त हुआ है । इस विषय में युवक-युवतियों का उद्बोधन करें ।

ई. ‘सनातन चैतन्यवाणी एप’ में निहित श्री दुर्गासप्तशती श्लोक, श्री दुर्गादेवी का नामजप आदि की जानकारी देकर ‘एप डाउनलोड’ करने का अनुरोध करें, साथ ही इस एप में दिए सात्त्विक नामजप का लाभ उठाने का आवाहन भी किया जा सकता है ।

नवरात्रोत्सव से होनेवाली धर्महानि रोकने के लिए वैधानिक पद्धति से प्रयास कर उत्सव की पवित्रता बनाए रखना प्रत्येक देवीभक्त का आद्य कर्तव्य है । इन अप्रिय घटनाओं को रोककर ‘आदर्श नवरात्रोत्सव’ मनाना तथा उसके लिए अन्यों को भी प्रेरित करना देवी की श्रेष्ठ स्तर की उपासना सिद्ध होगी !’

(१५.९.२०२३)