१०० वर्ष पूर्व, गुजरात में अंग्रेजों द्वारा किए गए नरसंहार के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को क्षमा मांगनी चाहिए !

केवल इसके लिए ही नहीं, अपितु अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर किए गए भीषण अत्याचार, क्रांतिकारियों की निर्मम हत्या और उनके शासनकाल में हिन्दू संस्कृति को नष्ट करने के लिए किए गए प्रयासों के लिए, अंग्रेजों को भारतीयों से क्षमायाचना करनी चाहिए ।

(कहते हैं) ‘भारत में हिन्दुओं द्वारा मुसलमानों पर आक्रमण !’

पाकिस्तान के विदेश मंत्री द्वारा भारत के हिंसाचारों की घटनाओं पर आरोप !

‘यदि भारत को छेडा, तो छोडेंगे नहीं’, यह संदेश चीन को पहुंचा है !

पाक जिहादी आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में हिन्दुओं को एवं रक्षादलों को लक्ष्य बना रहा है, उसका स्थायी बंदोबस्त करने की भी आवश्यकता है !

कनाडा के खलिस्तानवादी नेता द्वारा भारत सरकार पर मुसलमान विरोधी भावना भडकाने का आरोप !

विदेश में राजकारण करने में सक्रिय होनेवाले ऐसे खलिस्तानवादी नेताओं के विरोध में भारत सरकार को प्रथम पहल करनी चाहिए । खलिस्तानवाद समूल नष्ट करने के लिए प्रथम ऐसे नेताओं पर कारवाई करना आवश्यक !

विविध राष्ट्रप्रमुखों का भारत भ्रमण, उनका अर्थ और उससे देश को मिलनेवाला लाभ !

जापान विविध बातों में भारत की सहायता करने का इच्छुक है । जापान आनेवाले ५ वर्षाें में भारत में ४२ मिलियन डॉलर्स का निवेश कर रहा है । आज के समय में जापान के पास अतिरिक्त पूंजी है । भारत उनका मित्र देश होने से वह हमारी सहायता कर रहा है ।

भविष्य के १५ वर्ष में अखंड भारत दृश्यमान होगा ! – सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत

हम अहिंसा का सम्मान करते है, परन्तु हाथ में लाठी लेकर ही अहिंसा का सम्मान किया जाएगा ! – सरसंघचालक

भारत-नेपाल सीमा के आसपास, मदरसों और मस्जिदों की संख्या में प्रचंड वृद्धि !

केवल आंकडे एकत्र करना ही उपयोगी नहीं है, अपितु यहां की अनधिकृत मस्जिदों और मदरसों के विरोध में तत्काल प्रभावी कार्रवाई करना अनिवार्य है ! ‘इस तरह का अवैध निर्माण होने तक प्रशासन और गुप्तचर विभाग क्या कर रहे थे ?’ ; इस पर भी त्वरित ध्यान देने की आवश्यकता है !

इमरान खान को पाक छोडकर भारत चले जाना चाहिए ! – विरोधी पार्टी की नेता मरियम नवाज

पाक के प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा भारत की स्तुति करने के विषय में ..

श्रीलंका पर छाया अन्नसंकट एवं भारत !

श्रीलंका ने भारत से अन्न आयात करने के लिए कर्ज की मांग की है । वह जैविक खेती के विषय में मार्गदर्शन भी मांगे, तो इसमें भारतीय किसान बंधु भी आनंद से सहभागी होंगे ।

तृतीय विश्वयुद्ध के विषय में भविष्यवाणी, विश्वयुद्ध के दुष्परिणाम और उनसे बचने हेतु आवश्यक उपाय

तृतीय विश्वयुद्ध की अवधि साधकों की ईश्वरभक्ति पर निर्भर होगी । यह युद्ध भक्तों (धर्माचरण करनेवाले जीवों) और अनिष्ट शक्तियों (अधर्माचरण करनेवाली जीवों) के मध्य होनेवाला है; इसलिए इस युद्ध की अवधि बदल सकती है ।