मेरा राष्ट्रपति होना मेरी व्यक्तिगत सफलता नहीं, अपितु भारत के प्रत्येक निर्धन की सफलता है ! – राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

१५ वें राष्ट्रपति के रूप में ली शपथ

नई देहली – द्रौपदी मुर्मू ने २५ जुलाई को राष्ट्रपतिपद की शपथ ली । संसद के ‘सेंट्रल हॉल’में संपन्न हुई इस शपथविधि के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अनेक बडे नेता उपस्थित थे । सरन्यायाधीश एन.वी. रमणा ने मुर्मू को राष्ट्रपतिपद की शपथ दिलवाई ।

इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश को संबोधित करते हुए बोलीं,

१. भारत की स्वतंत्रता का अमृतमहोत्सव मनाते समय मुझे यह अवसर मिला है । देश के स्वतंत्रता के ५० वां वर्ष मनाते समय मेरे राजकीय जीवन का आरंभ हुआ था । आज ७५ वें वर्ष में मुझे यह नया अवसर मिला है । यह दायित्व मिलना मेरा सौभाग्य है ।

२. स्वतंत्र भारत में जन्मी मैं पहली राष्ट्रपति हूं । हमारे स्वतंत्रतासेनानियों ने देश के नागरिकों से जो अपेक्षा की थी, उसकी पूर्ति करने के लिए हमें वेग से काम करना होगा ।

३. नगरसेविका से देश का राष्ट्रपति बनने का अवसर मुझे मिला है । यह भारत की महानता एवं लोकतंत्र की शक्ति है । इसीलिए एक निर्धन घर में जन्म लेनेवाली लडकी देश के सर्वोच्च पद पर पहुंच सकती है । राष्ट्रपति होना, यह मेरी व्यक्तिगत सफलता नहीं, अपितु वह भारत के प्रत्येक निर्धन की सफलता है ।

४. आगे बढेंगे एवं आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करेंगे !

कोरोनाकाल में भारत ने अपने साथ संपूर्ण जगत को आगे ले जाने का काम किया !

भारत आज प्रत्येक क्षेत्र में विकास कर रहा है । कोरोना काल में भारत ने अपना सामर्थ्य दिखाया । उसने अपने साथ-साथ संपूर्ण जगत को आगे ले जाने का काम किया । कुछ दिनों पूर्व हम २०० करोड डोस देने का अत्यंत महत्त्वपूर्ण काम किया है । इस संपूर्ण लडाई में भारत द्वारा दिखाया गया संयम एवं धैर्य, उसकी शक्ति एवं संवदेनशीलता का प्रतीक है ।