त्याग एवं निरपेक्षता जैसे विशिष्ट गुणों के कारण सनातन के ११७ वें संतपद पर विराजमान फोंडा (गोवा) की पू. (श्रीमती) सुधा सिंगबाळजी (आयु ८२ वर्ष) !

मूलत: सावईवेरे, गोवा की श्रीमती सुधा उमाकांत सिंगबाळजी सनातन के संत पू. नीलेश सिंगबाळजी की माताश्री और श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी की सास हैं । श्रीमती सुधा सिंगबाळजी पहले से ही धार्मिक एवं आतिथ्यशील वृत्ति की हैं ।

मथुरा में हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा ‘आनन्दमय जीवन हेतु साधना’ विषय पर मार्गदर्शन

मथुरा के श्रीजी शिवाशा एस्टेट के मंदिर परिसर में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ चारुदत्त पिंगळेजी ने ‘आनन्दमय जीवन हेतु साधना’ विषय पर मार्गदर्शन किया ।

मथुरा के संत श्री गोविंदाचार्यजी से सनातन संस्था के साधकों ने भेंट ली !

सनातन पंचांग देखकर संत श्री गोविंदाचार्यजी ने कहा, ‘‘यह पंचांग बहुत ही अच्छा है । इसमें बहुत सारी अच्छी जानकारी दी गई है ।’’ उन्होंने सनातन संस्था के साधकों को रमणरेती आश्रम में भी आने का निमंत्रण दिया ।

पाश्चात्य संगीत : प्राणों से खिलवाड !

नांदेड के मुदखेड तालुका का एक युवक व्यसनाधीन था । इससे उसकी पढाई छूट गर्स और वह निराशाग्रस्त हो गया । ऐसी निराशाग्रस्त अवस्था में उसने मूल हंगेरियन भाषा का गाना ‘ग्लूमी संडे’ (खिन्न रविवार) का हिन्दी रूपांतर सुना । यह गाना सुनने के पश्चात उसका बचा-खुचा मानसिक संतुलन भी धराशायी हो गया ।

देश की युवा पीढी को गर्त में ले जानेवाले ‘वेलेंटाइन डे’ पर रोक लगाने हेतु सरकार ठोस कदम उठाए ! – राष्ट्रप्रेमियों की मांग

पूरे विश्व में सर्वाधिक युवाशक्ति भारत में है । किंतु कई वर्षों से १४ फरवरी ‘वेलेंटाइन डे’ के रूप मे मनाने की पाश्चात्यों की कुप्रथा भारत में भी प्रचलित हो गई है । व्यावसायिक लाभ के लिए प्रेम के नाम पर पाश्चात्यों की इस विकृत संकल्पना के कारण युवा पीढी भोगवाद और अनैतिकता की गर्त में जा रही है ।

राजस्थान के ‘गोग्रास सेवा समिति’ द्वारा हिन्दू जनजागृति समिति का सम्मान !

‘हरियालो राजस्थान’ संगठन के पाली जिला प्रमुख श्री. वासुदेव सांखलाजी ने बताया कि ‘‘समिति को पिछले १५-२० वर्ष से देख रहा हूं । समाज में जब भी प्रबोधन की आवश्यकता होती है, समिति आगे होकर बहुत अच्छे से इस कार्य को करती है । राष्ट्र और धर्म के लिए ऐसे निरपेक्ष कार्य करने की आज नितांत आवश्यकता है ।’’

ग्वालियर में सनातन संस्था द्वारा बसंत पंचमी के अवसर पर प्रवचन संपन्न

प्रवचन के आरंभ में संस्था के कार्य और संस्थापक के विषय में जानकारी दी गई । बसंत पंचमी के दिन को माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाने का महत्त्व व उनकी उत्पत्ति कैसे हुई, इसकी कथा सुनाई गई ।