राज्य के कानून, समाज कल्याण एवं औद्योगिक विकास मंत्री तथा विधानसभा अध्यक्ष के साथ सदिच्छा भेंट !

विधानसभा अध्यक्ष एवं प्रकांड विद्वान मा. श्री. हृदय नारायण दीक्षित ने बताया कि ‘‘सनातन धर्म ही जीवन का मूल आधार है ।’’ उन्होंने संस्था द्वारा प्रकाशित ग्रंथ विधानसभा के पुस्तकालय में उपलब्ध करवाने का आदेश भी दिया ।

सनातन के साधकों ने ली दैनिक ‘जागरण’ के पत्रकार श्री. वीरेंद्रकुमार ओझा की सदिच्छा भेंट !

सनातन पंचांग देखकर श्री. ओझा का भाव जागृत हुआ । वे बोले, ‘‘लगभग ६-७ वर्षाें पूर्व मुझे सनातन पंचांग मिला था । उसे मैंने अब तक सहेजकर रखा है ।’’

त्रिपुरा में एक मस्जिद में आग लगाने के प्रवाद (अफवाह) के पश्चात धर्मांधों द्वारा महाकाली मंदिर की तोडफोड !

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी शिवाजी सेनगुप्ता पर कांग्रेस समर्थक छात्र संगठन एनएसयूआई एवं तृणमूल कांग्रेस द्वारा प्रेरित छात्र संगठन, तृणमूल छात्र परिषद के कार्यकर्ताओं ने आक्रमण किया ।

बांसुरीवादन से संतपद प्राप्त करनेवाले पुणे के विख्यात बांसुरीवादक पू. पंडित केशव गिंडेजी की रामनाथी (गोवा) स्थित सनातन आश्रम को सदिच्छा भेंट !

आश्रम के स्वागतकक्ष में लगे सनातन-निर्मित भगवान श्रीकृष्ण के चित्र को देखते ही पू. पंडित गिंडेजी ने कहा, ‘‘चित्र में श्रीकृष्ण जीवित हैं । ऐसा लगता है, वे हमसे बात कर रहे हैं !’’ परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने बताया, ‘‘श्रीकृष्ण के इस चित्र में ३१ प्रतिशत श्रीकृष्णतत्त्व है ।’’

‘यूएएस (युनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ उपकरण द्वारा प.पू. बाळाजी (प.पू. दादा) आठवलेजी और उनके संत परिजनों के छायाचित्रों से अत्यधिक मात्रा में चैतन्य प्रक्षेपित होना सुनिश्चित होना

१३ वीं शताब्दी में महाराष्ट्र में जन्मे संत ज्ञानेश्वर महाराज स्वयं उच्च स्तर के संत थे और उनके माता-पिता एवं भाई-बहन भी संत थे । वर्तमान कलियुग में ऐसा ही एक उदाहरण है ‘सनातन संस्था’ और ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का !

मानव बुद्धि की सीमाएं

आधुनिक वैज्ञानिक बताते हैं कि मस्तिष्क (Brain) का एक छोटा भाग ही काम में आता है, शेष बहुत बडा भाग जीवन भर बेकार ही पडा रहता है । भारतीय संस्कृति इस बडे भाग का उपयोग करने बताती है ।

प.पू. भक्तराज महाराजजी का लीलासामर्थ्य और उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी की त्रिकालदर्शिता !

‘भविष्य में प.पू. बाबा के भजनों का अर्थ कोई तो बताएगा’, यह परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को वर्ष २०१३ में ही ज्ञात था’, यह उनकी त्रिकालदर्शिता ही है !

नुतन पाक्षिक – १५ से ३० नवंबर २०२१, पाक्षिक क्र. २ : हिन्दी पाक्षिक सनातन प्रभात

Download कार्तिक शुक्ल १२ से मार्गशीर्ष कृष्ण ११ (१६ से ३० नवंबर २०२१)  

६३ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कु. तेजल पात्रीकर (संगीत विशारद) की आवाज में ध्वनिमुद्रित किया ‘निर्विचार’ नामजप सुनने के प्रयोग में सम्मिलित साधकों को हुए कष्ट एवं विशेष अनुभूतियां

मन निर्विचार करने के लिए स्वभावदोष एवं अहं का निर्मूलन, भावजागृति इत्यादि के भले ही कितने भी प्रयत्न किए, तब भी मन कार्यरत रहता है । इसके साथ ही किसी देवता का नामजप अखंड करने से भी मन कार्यरत रहता है ।