गुरुपूर्णिमा के पश्चात आनेवाले भीषण संकटकाल में सुरक्षित रहने के लिए गुरुरूपी संतों के मार्गदर्शन में साधना करें !

‘श्री गुरु के मार्गदर्शन में साधना करनेवाले भक्त, साधक, शिष्य आदि के लिए गुरुपूर्णिमा ‘कृतज्ञता उत्सव’ होता है । गुरु के कारण आध्यात्मिक साधना आरंभ होकर मनुष्यजन्म सार्थक होता है ।

काल की आवश्यकता समझकर राष्ट्र तथा धर्मरक्षा की शिक्षा देना, यह गुरु का वर्तमान कर्तव्य !

राष्ट्र तथा धर्मरक्षा की शिक्षा देनेवाले गुरुओं के कार्य का स्मरण कीजिए !

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वरः । गुरुरेव परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः

शिष्य का अज्ञान दूर हो तथा उसकी आध्यात्मिक उन्नति हो, इसलिए जो उससे उपयुक्त साधना करवा लेते हैं और इस प्रकार सहजता से वास्तविक अनुभूति प्रदान करा देते हैं, उन्हें गुरु कहते हैं । शिष्य का परममंगल अर्थात मोक्षप्राप्ति केवल गुरुकृपा से ही हो सकती है ।

‘मानव’ किसे कहा जा सकता है ?

‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, स्वेच्छाचार, प्राणियों की विशेषता हो सकती है, मानव की नहीं । ‘धर्मबंधन में रहना, धर्मशास्त्र का अनुकरण करना’, ऐसा करनेवाला ही ‘मानव’ कहला सकता है ।’

हिन्दू राष्ट्र में भ्रष्टाचार, बलात्कार इत्यादि क्यों नहीं होंगे ?

‘हिन्दू राष्ट्र की पाठशाला में भूगोल, गणित, रसायन शास्त्र जैसे जीवन में जिनका कोई उपयोग नहीं, ऐसे विषयों की अपेक्षा, ‘बच्चे सात्त्विक कैसे हों ?’, इसका अर्थ ‘साधना कैसे करें ?’ इसकी शिक्षा दी जाएगी । इस कारण जिस प्रकार रामराज्य में नहीं थे, उसी प्रकार भ्रष्टाचार, बलात्कार, गुंडागिरी, हत्या इत्यादि भी हिन्दू राष्ट्र में नहीं होगी !’

अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में हिन्दुत्वनिष्ठों को हुई विविध अनुभूतियां एवं उनका हिन्दू जनजागृति समिति के विषय में अपनापन !

१२ से १८ जून २०२२ को रामनाथी (गोवा) के श्री रामनाथ देवस्थान में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न हुआ । इस अधिवेशन के समारोपीय सत्र में हिन्दुत्वनिष्ठों को अधिवेशन काल में हुई अनुभूतियां, हिन्दू जनजागृति समिति के प्रति विशेष अपनापन, इसके साथ ही साधना करते समय हुई विविध अनुभूतियां आदि के विषय में अपना मनोगत व्यक्त किया ।

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनने से कोई भी नहीं रोक सकता ! – पू. श्रीरामज्ञानीदास महात्यागी, संस्थापक, तिरखेडी आश्रम, गोंदिया, महाराष्ट्र

जिनकी शारीरिक क्षमता है, वह देह से, बौद्धिक क्षमता है वह बुद्धि से, इस प्रकार सभी को स्वयं की क्षमता के अनुसार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए योगदान देना आवश्यक है । केवल भाषण देकर नहीं, तो प्रत्यक्ष योगदान देकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होगी । समाज परिवर्तनशील है ।

सर्व संतों एवं महात्माओं को हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्य करना आवश्यक ! – पू. परमात्माजी महाराज, धारवाड, कर्नाटक

कर्नाटक में धारवाड के पू. परमात्माजी महाराज जी ने आवाहन किया कि, जब धर्म पर अधर्म बढ गया, तब भगवान परशुराम ने परशु धारण किया । ऐसे परशुराम को हमें अपना आदर्श मानना चाहिए । यह तपस्या करने का नहीं, युद्ध करने का समय है ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘ईश्वर पर तथा साधना पर विश्वास न हो, तब भी चिरंतन आनंद की आवश्यकता प्रत्येक व्यक्ति को होती है । वह केवल साधना से ही प्राप्त होता है । एक बार यह ध्यान में आ जाए, तो साधना का कोई पर्याय न होने के कारण, मानव साधना की ओर प्रवृत्त होता है ।’

‘हिन्दू राष्ट्र-जागृति अभियान’ में ७० सहस्र से भी अधिक हिन्दुओं का सहभाग ! – चेतन राजहंस, राष्ट्रीय प्रवक्ता, सनातन संस्था

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए भारतभर में पुजारी, संत एवं मान्यवरों ने १ सहस्र ११९ मंदिरों में भगवान से प्रार्थना की गई, जबकि महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक एवं तेलंगाना राज्यों में २३ स्थानों पर ‘हिन्दू एकता शोभायात्रा’ आयोजित की गईं । इसका लाभ ३४ सहस्र ६४६ जिज्ञासुओं ने लिया ।