विदेशी निधि से लाभान्वित अशासकीय संस्था देश की प्रतिमा मलिन करने के लिए कार्यरत ! – गुप्तचर विभाग

प्रधानमंत्री कार्यालय से प्रस्तुत विवरण !

नई देहली – गुप्तचर विभाग ने विदेशी निधि से लाभान्वित स्वयंसेवी संस्थाओं के संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय का एक विवरण प्रस्तुत किया है । इसमें कहा गया है कि अनेक संस्थाओं द्वारा देश के आर्थिक विकास में अडचनें निर्मित की जा रही हैं । अमेरिका, युनाइटेड किंगडम, जर्मनी, नेदरलैंड्स, नार्वे, स्वीडन, आदि डेन्मार्क देशों से निधि भेजी जाती है । इस कारण ‘सकल देशांतर्गत उत्पाद’ प्रतिवर्ष २-३ प्रतिशत घट रहा है ।

इस विवरण में आगे कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर भारत को बदनाम करने के लिए अब तक जातिभेद, मानवाधिकारों का हनन आदि कारण बताए जाते थे । परंतु सामाजिक कार्य के लिए अब विदेशी संस्थाएं निधि भेजती हैं, इस नाम पर देश के विकास कामों में अडचनें निर्मित करने के लिए भारत में पैसा भेज रही हैं । स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से भारत के विरुद्ध नकारात्मक वातावरण निर्मित कर उसकी प्रतिमा मलिन करने के लिए इस निधि का व्यय किया जाता है ।

मेधा पाटकर के विरुद्ध करोडों रुपए के अनुचित व्यवहार के प्रकरण में अपराध प्रविष्ट !

पाठशाला के नाम पर प्राप्त निधि सरकार के विरुद्ध आंदोलनों के लिए व्यय करने का आरोप !

कथित सामाजिक कार्यकर्त्री मेधा पाटकर

भोपाल – ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ की प्रधान एवं कथित सामाजिक कार्यकर्त्री मेधा पाटकर पर करोडों रुपए के अनुचित उपयोग करने का आरोप लगाया गया है । पाटकर और उनके ११ सहयोगी के विरुद्ध पुलिस ने अपराध प्रविष्ट किया है । पाटकर की ‘नर्मदा नवनिर्माण अभियान’ नामक स्वयंसेवी संस्था ने ८४ सामाजिक कार्य, तथा आदिवासी बालकों की शिक्षा के लिए प्राप्त निधि का दुरुपयोग किया । इस निधि का उपयोग शासन के विविध विकास योजनाओं के विरुद्ध आंदोलन करने के लिए किया गया ।

अपराध प्रविष्ट करनेवाले प्रीतम बडोले के अनुसार ‘विगत कुछ वर्षो में पाटकर की संस्था को १३ से १४ करोड रुपए मिले; परंतु उसका कुछ भी लेखा विवरण नहीं दिया गया । बडोले ने प्रसारमाध्यमों को बताया कि पाटकर की संस्था द्वारा महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में ‘जीवनशाला’ नामक पाठशाला संचालित करने के संदर्भ में कहा जाता है; परंतु इस प्रकार की किसी पाठशाला का अस्तित्व नहीं है ।

मेधा पाटकर द्वारा स्पष्टीकरण

पाटकर ने इन सब आरोपों को अस्वीकार करते हुए कहा कि हमारे पास सभी लेखा विवरण अद्यावत है । जीवनशाला गत ३० वर्षों से संचालित है । हम न्यायालयीन लडाई लडने के लिए तैयार हैं ।

संपादकीय भूमिका

ऐसी सर्व अशासकीय संस्था राष्ट्रद्रोही ही हैं ! ऐसी संस्थाओं की अनुज्ञप्तियां (लाईसेंस) अमान्य कर उन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, तथा संबंधित न्यासी, अधिकारी एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कडी से कडी कार्रवाई होनी चाहिए !