औरंगजेब ने मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया था, मस्जिद बनाने का नहीं ! – अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी

काशी विश्वेश्वर मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई !

प्रयागराज : न्यायमूर्ति प्रकाश पडिया की अध्यक्षता वाली इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ ने अंजुमन-ए-इंतजामिया मस्जिद समिति और सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से प्रविष्ठ याचिकाओं पर १३ जुलाई को सुनवाई की । मंदिर की ओर से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने अभिलेख व तथ्य प्रस्तुत किए। उन्होंने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि औरंगजेब ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया था, किन्तु वहां मस्जिद बनाने का कोई आदेश नहीं दिया । अत: वहां मस्जिद बनाना अयोग्य था । अधिवक्ता रस्तोगी ने कहा कि औरंगजेब के आदेश से आदि विश्वेश्वर नाथ मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया, किंतु भूमि का स्वामित्व मंदिर के पास ही रहा । पुरातन अभिलेखों को देखने से स्पष्ट होता है कि यह मंदिर अति प्राचीन काल का है ।

अधिवक्ता रस्तोगी ने आगे कहा कि पूर्व के साम्राज्यकाल में त्रुटियां की गई थीं । श्री काशी विश्वनाथ मंदिर को बलपूर्वक तोड़ा गया । यदि वर्तमान सरकार साक्ष्य प्रस्तुत करके उन त्रुटियों को सुधारना चाहती है, तो न्यायालय त्रुटियों पर ध्यान देते हुए प्रकरण पर उपायों के आदेश दे सकता है । रस्तोगी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने श्री राम जन्मभूमि प्रकरण में भी ऐसा ही सुझाव दिया था और इस प्रकरण में भी वही हो सकता है । प्रकरण की अगली सुनवाई १५ जुलाई २०२२ को होगी ।

संपादकीय भूमिका 

हिन्दुओं को लगता है कि सरकार अब संपूर्ण साक्ष्य लोगों के समक्ष प्रस्तुत करे एवं मंदिर के पुनर्निर्माण के निर्णायक प्रयत्न करे !