सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘हिन्दुओ, हिन्दू राष्ट्र में दासता दर्शानेवाली तथा रज-तम प्रधान अंग्रेजी भाषा भारत में नहीं रहेगी । राज्यों की भाषा प्रशासकीय भाषा होगी । इसलिए यदि आपको ऐसा लगता है कि आगे आपके बच्चे को नौकरी मिले, तो उसे अभी से भारतीय राज्यभाषा में शिक्षा दें ।’

घोर आपातकाल आरंभ होने से पूर्व सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा संकलित लगभग दो हजार से अधिक ग्रंथ शीघ्र प्रकाशित करने के लिए साधकों की आवश्यकता !

हिन्दू राष्ट्र कई हजार वर्ष टिकेगा; परंतु ग्रंथों का ज्ञान अनंत काल टिकनेवाला है । इसलिए जैसे हिन्दू राष्ट्र शीघ्र आना आवश्यक है, उतनी ही शीघ्रता, अपातकाल और तीसरे विश्वयुद्ध के आरंभ होने से पहले ग्रंथ प्रकाशित करने की है ।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थकों एवं आध्यात्मिक साधना करनेवालों में भेद !

‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक स्वेच्छा से आचरण करते हैं, इस कारण सुखी होते हैं । इसके विपरीत साधना करनेवाले पहले अन्यों की इच्छा से तथा आगे ईश्वर की इच्छा से आचरण करते हैं, इस कारण वे आनंदमयी होते हैं ।’

धार्मिक कार्य हेतु सन्मार्ग से अर्जित धन का ही उपयोग करें !

‘किसी धार्मिक संस्था को दान में दिया जाने वाला धन यदि पाप मार्ग से अर्जित किया हुआ हो, तो वह दान व्यर्थ जाता है; अर्थात किसी सेवा के लिए उस धन का उपयोग करने पर उस सेवा की फलोत्पत्ति अच्छी नहीं होती !’

रज-तम प्रधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक !

‘रज-तम प्रधान तथा स्वेच्छा को महत्त्व देनेवाले व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक कल यदि ऐसा कहने लगे कि ‘भ्रष्टाचार, बलात्कार, हत्या इत्यादि करने की स्वतंत्रता चाहिए’, तो आश्चर्य नहीं !’

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘स्वतंत्रता से पूर्व के काल में राष्ट्र एवं धर्म का विचार करनेवाले जनप्रतिनिधि हुआ करते थे । स्वतंत्रता के उपरांत अपने उत्तरदायित्व का नहीं, केवल स्वार्थ का विचार करने वाले जनप्रतिनिधियों की संख्या बढती गई । इस कारण राष्ट्र की स्थिति दयनीय हो गई है !’ व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थकों, मानव को मानव देहधारी प्राणी … Read more

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी द्वारा लिखित तथा आध्यात्मिक शोध पर आधारित शोधनिबंध का अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में प्रस्तुतीकरण !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय द्वारा फ्रांस में आयोजित २४ अक्टूबर २०२२ को ‘इंटरनेशनल समिट ऑन फैशन, ब्यूटी एंड कॉस्मेटोलॉजी एक्सपो’ परिषद में ‘आभूषण व्यक्ति के प्रभामंडल पर कैसे परिणाम करते हैं ?’ इस शोधनिबंध का ‘ऑनलाइन’ प्रस्तुतीकरण किया गया ।

कारवार (कर्नाटक) के पंचशिल्पकार नंदा आचारी (गुरुजी) संतपद पर विराजमान !

आनंदित, उत्साही एवं भूख-प्यास भूलकर मूर्तिकला के साथ एकरूप श्री सिद्धिविनायक मूर्ति के शिल्पी श्री. नंदा आचारी गुरुजी !

राजनीतिक दलों का अंतर्मुख होना आवश्यक !

‘मंदिर, तीर्थक्षेत्र, कुंभपर्व इत्यादि स्थानों पर स्वयं पैसे खर्च कर आनेवाले लाखों श्रद्धालुओं की तुलना में विविध राजनीतिक दलों के नेताओं की सभाओं में आने के लिए पैसे देकर भी कितने लोग उपस्थित रहते हैं ?’

विज्ञान और अध्यात्म में भेद !

‘विज्ञान को सूचना एकत्र कर किसी प्रश्न का उत्तर खोजना पडता है; इसके विपरीत अध्यात्म में प्रगति होने पर सूचना एकत्र नहीं करनी पडती । किसी भी प्रश्न का उत्तर तत्काल मिलता है !’