सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

हिन्दू राष्ट्र में अंग्रेजी भाषा नहीं होगी !

‘हिन्दुओ, हिन्दू राष्ट्र में दासता दर्शानेवाली तथा रज-तम प्रधान अंग्रेजी भाषा भारत में नहीं रहेगी । राज्यों की भाषा प्रशासकीय भाषा होगी । इसलिए यदि आपको ऐसा लगता है कि आगे आपके बच्चे को नौकरी मिले, तो उसे अभी से भारतीय राज्यभाषा में शिक्षा दें ।’

अध्यात्म की अद्वितीयता !

‘किसी भी बात का मूल कारण खोजे बिना डॉक्टर, न्यायाधीश सरकार इत्यादि सभी उस पर केवल सतही उपाय करते हैं । इसके विपरीत, व्यष्टि एवं समष्टि प्रारब्ध, लेन-देन हिसाब, काल इत्यादि मूलभूत कारणों को ध्यान में रखकर उनका उपाय केवल अध्यात्म ही बता सकता है !’

रज-तम प्रधान व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक !

‘रज-तम प्रधान तथा स्वेच्छा को महत्त्व देनेवाले व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक कल यदि ऐसी मांग करें कि ‘भ्रष्टाचार, बलात्कार, हत्या इत्यादि करने की स्वतंत्रता चाहिए’, तो आश्चर्य नहीं !’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले