सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के समर्थक स्वेच्छा से आचरण करते हैं, इस कारण सुखी होते हैं । इसके विपरीत साधना करनेवाले पहले अन्यों की इच्छा से तथा आगे ईश्वर की इच्छा से आचरण करते हैं, इस कारण वे आनंदमयी होते हैं ।’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले