राजनीतिक दलों का अंतर्मुख होना आवश्यक !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘मंदिर, तीर्थक्षेत्र, कुंभपर्व इत्यादि स्थानों पर स्वयं पैसे खर्च कर आनेवाले लाखों श्रद्धालुओं की तुलना में विविध राजनीतिक दलों के नेताओं की सभाओं में आने के लिए पैसे देकर भी कितने लोग उपस्थित रहते हैं ?’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले