घोर आपातकाल आरंभ होने से पूर्व सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा संकलित लगभग दो हजार से अधिक ग्रंथ शीघ्र प्रकाशित करने के लिए साधकों की आवश्यकता !

१. आपातकाल के पूर्व सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रंथाें का समाज की दृष्टि से योगदान !

अ. ‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित किए जा रहे ज्ञान से समाज सात्त्विक (साधक) बनकर हिन्दू राष्ट्र के लिए पोषक होगा । इन्हीं से हिन्दू राष्ट्र की रचना होगी ।

आ. हमने साधना की, तो ही भीषण आपातकाल में बच सकते हैं; क्योंकि साधकों पर ईश्वर की कृपा होती है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी जो ग्रंथ संकलित कर रहे हैं उनसे सुयोग्य, वर्तमान वैज्ञानिक युग की पीढी को सहज समझ में आए, ऐसी वैज्ञानिक परिभाषा में और कालानुसार आवश्यक साधना का ज्ञान मिलता है ।

इ. सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी विविध विषयों पर ग्रंथ संकलित कर रहे हैं और इसके माध्यम से अनेक लोग अपनी-अपनी प्रकृति और रुचि के अनुसार साधना की ओर शीघ्र अग्रसर हो सकते हैं ।

ई. हिन्दू राष्ट्र कई हजार वर्ष टिकेगा; परंतु ग्रंथों का ज्ञान अनंत काल टिकनेवाला है । इसलिए जैसे हिन्दू राष्ट्र शीघ्र आना आवश्यक है, उतनी ही शीघ्रता, अपातकाल और तीसरे विश्वयुद्ध के आरंभ होने से पहले ग्रंथ प्रकाशित करने की है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी द्वारा संकलित ग्रंथों में से अक्टूबर २०२२ तक ३५९ ग्रंथ-लघुग्रंथों की निर्मिति हुई है । अनुमानतः २ हजार से अधिक ग्रंथों की निर्मिति की प्रक्रिया अधिक गति से होने के लिए अनेक लोगों की सहायता की आवश्यकता है । अपनी रुचि और क्षमता के अनुसार ग्रंथ निर्मिति की सेवा में सम्मिलित होकर इस स्वर्णिम अवसर का अधिकाधिक लाभ उठाएं !’

– (पू.) संदीप आळशी, सनातन के ग्रंथों के संकलनकर्ता

२. आगे दिए अनुसार किसी भी सेवा में सम्मिलित होने के लिए संपर्क करें !

२ अ. ग्रंथ-निर्मिति से संबंधित सेवाएं

१. लेखन का संगणकीय टंकण, संकलन; संस्कृत श्लोक आदि जांचना तथा ग्रंथों का अंतिम संकलन करना

२. ग्रंथों की संरचना करना और सारणी (टेबल) बनाना

३. मराठी, हिन्दी अथवा अंग्रेजी भाषा के ग्रंथों का देश-विदेश की भाषाओं में अनुवाद करना उपरोक्त सेवाओं के लिए संगणक का मूलभूत ज्ञान होना, साथ ही संगणकीय टंकण में निपुणता आवश्यक है । ग्रंथ-निर्मिति से संबंधित सेवा सीखने के लिए जो इच्छुक हैं उन्हें सनातन के आश्रम में २-३ सप्ताह रहना होगा । आगे वे सनातन के आश्रम में रहकर या घर पर रहकर सेवा कर सकते हैं ।

२ आ. मुद्रण संबंधी सेवाएं

१. ऑफसेट प्रिंटिंग, मल्टीकलर प्रिंटिंग, सिंगल कलर प्रिंटिंग इत्यादि सेवाएं

२. मुद्रण संबंधी ब्योरे भरने जैसी संगणकीय सेवा करने के लिए ओपन ऑफिस, एक्सेल, कोरल ड्रॉ, इनडिजाइन, ई-मेल आदि का मूलभूत संगणकीय ज्ञान हो

३. ग्रंथों का मुद्रण उचित ढंग से होने की जांच करने जैसी एक ही स्थान पर बैठकर करने की सेवा

४. ग्रंथों के बक्से लाने-ले जाने जैसी शारीरिक क्षमता की सेवा

५. दोपहिया अथवा चारपहिया वाहन चलाने की सेवा

जिनमें ये सब सेवाएं करने की क्षमता है, उन्हें ऊपर दिए अनुसार मूलभूत ज्ञान नहीं है, पर उन्हें ये सेवाएं सीखने में रुचि है, उन्हें भी संबंधित सेवाएं सिखाई जा सकती हैं ।

३. सेवा करने के इच्छुक निम्नांकित जानकारी दें

जिन्हें ये सेवाएं करने की इच्छा है, वे उपरोक्त सारणी अनुसार स्वयं की जानकारी सनातन के साधकों को संगणकीय धारिका में अथवा लिखित रूप में दें और साधक वह जानकारी जिलासेवक के माध्यम से श्रीमती भाग्यश्री सावंत के नाम से इस संगणकीय पत्ते पर अथवा आगे दिए डाक पते पर भेजें ।

डाक पता : श्रीमती भाग्यश्री सावंत, द्वारा ‘सनातन आश्रम’, रामनाथी, फोंडा, गोवा पिन ४०३ ४०१.