१० सहस्र से अधिक साधकों की उपस्थिति में एवं चैतन्यमय वातावरण में मनाया गया सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का दिव्य ब्रह्मोत्सव !

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ८१ वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में फर्मागुडी स्थित ‘गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय’ के मैदान में ‘दिव्य ब्रह्मोत्सव’ संपन्न हुआ । रथारूढ भगवान श्रीविष्णु की नृत्य, गायन एवं वादन द्वारा स्तुति करना अर्थात ब्रह्मोत्सव !

सप्तर्षियों की आज्ञा से सनातन के रामनाथी, फोंडा, गोवा के आश्रम में संपन्न हुआ चंडी याग !

सप्तर्षियों की आज्ञा के अनुसार ब्रह्मोत्सव समारोह के उपरांत १४ एवं १५ मई को हिन्दू राष्ट्र-स्थापना की अडचनें दूर हों, इसके लिए चंडी याग किया गया । इस याग में सप्तशती का पाठ करते हुए आहुतियां दी गईं ।

भूलकर देहभान रंग जाएं हरि के रंग । आनंद के सागर में उठी भक्ति की तरंग ।।

श्रीविष्णु स्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की कृपा से संपन्न हुआ यह दिव्य एवं भव्य ‘ब्रह्मोत्सव’ इसी देह और इन्हीं नेत्रों से देखने का महत्भाग्य साधकों को मिला’, इसके लिए हे ईश्वर आपके चरणों में अनन्य भाव से कृतज्ञता ! कृतज्ञता !! कृतज्ञता !!!

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चरणों में मान्यवरों द्वारा अर्पित कृतज्ञता सुमन !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ब्रह्मोत्सव में अनेक मान्यवर उपस्थित थे । समारोह में व्यक्त किए गए भावपूर्ण मनोगत ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के विषय में संतों द्वारा व्यक्त किए गए गौरवोद्गार

‘जो ब्रह्म को जानता है, वह स्वयं ही ब्रह्म बन जाता है’, वेदों में वर्णित यह वाक्य सार्थ करनेवाले सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ! – पू. डॉ. शिबनारायण सेन

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का ‘ब्रह्मोत्सव’ मनाने के विषय में सप्तर्षियों द्वारा पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी के माध्यम से बताई गई महिमा !

‘२३.२.२०२३ को सप्तर्षि नाडीपट्टिका के वाचक पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी के माध्यम से हुए नाडीवाचन क्रमांक २२२ में ‘वर्ष २०२३ में गुरुदेवजी का जन्मोत्सव किस प्रकार मनाया जाए ?’, इस विषय में सप्तर्षियों द्वारा बताई गई महिमा आगे दे रहे हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ब्रह्मोत्सव में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के साधकों ने नृत्यादि सेवाओं द्वारा श्रीविष्णु की भावपूर्ण आराधना की !

रथारूढ महाविष्णु का गायन, वादन एवं नृत्य द्वारा महिमा का गुणगान ही ब्रह्मोत्सव ! श्रीविष्णु रूप में रथ में विराजमान सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के श्रीचरणों में इस ब्रह्मोत्सव के उपलक्ष्य में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के साधकों द्वारा कला के माध्यम से भाव अर्पण किया ।

आनेवाले भक्तों का सर्व प्रकार से ध्यान रखनेवाला ब्रह्मोत्सव समारोह का प्रबंधन एवं सनातन के साधकों के स्व-अनुशासन के हुए दर्शन !

ब्रह्मोत्सव के लिए महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक आदि राज्यों के १० सहस्र से अधिक साधक आए थे । वाहनतल के साथ ही कुल १३ एकड क्षेत्र में संपूर्ण समारोह की व्यवस्था की गई थी । साधक भाव की स्थिति में एवं बिना किसी अडचन के ब्रह्मोत्सव अनुभव कर सकें, इसलिए ब्रह्मोत्सव स्थल पर साधकों की उत्तम व्यवस्था की गई थी ।

केवल इसी से राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति होगी !

‘जिनके मन में राष्ट्र एवं धर्म के प्रति प्रेम है एवं जो उसके लिए कुछ करते हैं, केवल उन्हें चुनाव में मत देने का अधिकार मिले । केवल इसी से राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति होगी ।’

देशप्रेम की मूर्ति सावरकर ! 

‘इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज के उपरांत केवल वीर सावरकर का नाम लिया जाता है । अन्य किसी का नहीं लिया जाता ।ʼ