‘रामलला विराजमान’ की ओर से ४० वर्ष तक संघर्ष करनेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता के. परासरन् !

अधिवक्ता के. परासरन् का रामजन्मभूमि प्रकरण का इतना अध्ययन है कि वे कई बार न्यायालय के सामने बोलते-बोलते ही महत्त्वपूर्ण दिनांक बहुत ही सहजता से बताते थे । वे उंगलियों पर गणना कर ‘कौन-से दिन क्या हुआ था ?’, यह बताते थे ।

विश्वविख्यात पुरातत्व विशेषज्ञ ब्रिज बासी लाल का रामजन्मभूमि अभियोग में योगदान !

वर्ष १९७५ से १९८० तक उन्हें रामजन्मभूमि परिसर में स्थित १४ स्थानों का शोधकार्य सौंपा गया था । तब उन्होंने बाबरी के ढांचे के नीचे और उस परिसर में व्यापक खुदाई की, जिससे उन्होंने प्रमाणित किया कि बाबरी पूर्व काल में उसी स्थान पर हिन्दुओं का भव्य मंदिर था ।

श्रीराममंदिर के भव्य उद्घाटन समारोह की तैयारी अंतिम चरणों में… !

२२ जनवरी २०२४ के अभिजीत मुहूर्त पर मृगाशीर्ष नक्षत्र में दोपहर १२.२० पर प्रधानमंत्रीजी के हस्तों श्रीरामलला का अभिषेक होगा । उसके उपरांत २७ जनवरी से प्रतिदिन डेढ लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है । अतः प्रत्येक श्रद्धालु को रामलला के दर्शन करने हेतु केवल १५ से २० सेकंड का समय मिलेगा ।

हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ का द्वितीय रंगीन विशेषांक

प्रभु श्रीराम मंदिर इस विशेषांक में पढें अयोध्या की महिमा , संत संदेश एवं कारसेवकों के अनुभव !

राममंदिर से रामराज्य (हिन्दू राष्ट्र) की ओर !

छोटे बच्चों को भी रामराज्य का सपना देखना सिखाना होगा । उन्हें विद्यालयों में रामराज्य की निर्मिति के संस्कार देने होंगे । इसका आरंभ हम राममंदिर के पुनर्निर्माण से कर सकते हैं । हमें उससे प्रेरणा लेकर रामराज्य की ओर अग्रसर होना आरंभ करना है ।

जनवरी २०२४ में अयोध्या के श्रीराम मंदिर में श्रीराम की मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा की जाएगी, उस समय वहां सूक्ष्म से होनेवाली प्रक्रिया का एक संत द्वारा किया गया परीक्षण

मंदिर के नीचे श्रीरामतत्त्व कार्यरत था ही; परंतु अनेक वर्ष तक वह (श्रीरामतत्त्व) अवरोधित था । भले ही ऐसा हो; परंतु अभी भी वहां श्रीरामतत्त्व बना हुआ है ।

आइए, अयोध्या में निर्माणाधीन प्रभु श्रीरामचंद्र के भव्य मंदिर के भावपूर्ण दर्शन करें !

अयोध्या श्री राम मंदिर के चैतन्यदायी छायाचित्रमय दर्शन

अयोध्या स्थित राम मंदिर निर्माण की दिव्य घटना !!

ये रामनामधारी शिलाएं ‘अयोध्या में राममंदिर बनाने के साथ साधकों के मन में आत्माराम की स्थापना हो, अखिल भारत भूमि राममय हो’, इस संकल्प की वाहक हैं ।

रामजन्मभूमि आंदोलन में धर्मप्रेमी हिन्दुत्वनिष्ठों का अमूल्य योगदान !

उन दिनों में श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन प्रतिदिन तीव्र बनता जा रहा था तथा उसका नेतृत्व विश्व हिन्दू परिषद ने (विहिप ने) किया था । रा.स्व. संघ इस आंदोलन का समर्थन करे, यह विहिप की अपेक्षा थी तथा संघ ने वैसा किया भी । जिस परिसर में विहिप का कार्य अल्प था अथवा नहीं था, वहां संघ ने दायित्व लिया ।

रामजन्‍मभूमि मुक्‍ति का अविरत संघर्ष ! 

रामजन्‍मभूमि मुक्‍ति हेतु कुल ७६ लडाईयां हुईं, यह इतिहास है । ईसापूर्व १५० में सर्वप्रथम ग्रीक राजा मिनंडर (मिलिंद) ने आक्रमण कर अयोध्‍या स्‍थित श्रीरामपुत्र कुश द्वारा निर्मित मंदिर ध्‍वस्‍त किया । आगे जाकर शुंगकाल में मिनंडर की पराजय होने पर रामजन्‍मभूमि मुक्‍त हुई; किंतु अयोध्‍या को उसका गतवैभव कुछ मात्रा में पुनः प्राप्‍त हुआ ईसापूर्व १०० के आसपास !