‘साधना की (ईश्वर के लिए कुछ किया) तथा उससे हानि हुई’, क्या विश्व में ऐसा एक भी उदाहरण है ?
यदि प्रत्येक व्यक्ति को धर्मशिक्षा दी गई, तो ‘जीवन की सार्थकता का क्या अर्थ है ?’, यह ज्ञात होने पर व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का उत्थान हो सकता है !
यदि प्रत्येक व्यक्ति को धर्मशिक्षा दी गई, तो ‘जीवन की सार्थकता का क्या अर्थ है ?’, यह ज्ञात होने पर व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का उत्थान हो सकता है !
चूकों के प्रति संवेदनशील, चूकों के प्रति सतर्क रहकर कृति करनेवाला और चूक होने पर प्रायश्चित लेनेवाला चि. श्रीहरि
‘मंदिर में देवताओं के कर्मचारी दर्शनार्थियों को दर्शन कराने के अतिरिक्त अन्य कुछ करते हैं क्या ? वे दर्शनार्थियों को धर्मशिक्षा देते, साधना सिखाते, तो हिन्दुओं की एवं भारत की ऐसी दयनीय स्थिति नहीं होती ।’
हिन्दूद्वेष और हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों को दबाना अर्थात धर्मनिरपेक्षता’ ऐसी व्याख्या देश में तथाकथित निधर्मीवादी और आधुनिकतावादियों की है । इस पर ही न्यायालय का बोलना सोनार द्वारा कान छेदने समान है ! ऐसा होने पर भी ऐसे गेंडे की खाल वाले लोगों में बदलाव होने की संभावना नहीं, यह भी उतना ही सत्य है !
यदि किसी भी संघर्ष में सम्मिलित देश संयम नहीं बरतते हैं, तो केवल एक गलती से संपूर्ण विश्व, तृतीय विश्वयुद्ध की आग से झुलसने लगेगा ।
भारताचार्य सु.ग. शेवडे (आयु ८९ वर्ष) ने १९ अक्टूबर २०२३ को यहां स्थित सनातन के आश्रम का अवलोकन किया । इस अवसर पर उन्होंने आश्रम में चल रहे राष्ट्र एवं धर्म से संबंधित कार्य की जानकारी ली ।
भारत ने देश के पाकिस्तान प्रेमियों को निकालने का निर्णय लिया, तो वह संख्या करोड़ों में होगी, इसमें कोई शंका नहीं !
गांधीगिरी करनेवाली जमात के कारण विश्व का सुसंस्कृत, सहिष्णु एवं शांतिप्रिय समाज नष्ट हो जाएगा । ऐसा न हो; इसके लिए मानवाधिकारवालों को वैचारिक रूप से पराजित कर, उन्हें आईना दिखाना समय की मांग है ।
देश को एक ओर जहां बाळशास्त्री जांभेकर, आगरकर, लोकमान्य टिळक, आचार्य प्र.के. अत्रे आदि पत्रकारों की धरोहर प्राप्त है, वहीं दूसरी ओर आज ‘न्यूजक्लिक’ जैसे एक ‘न्यूज पोर्टल’(वेबसाइट) चीनी उद्योगपतियों से लाखों रुपए की दलाली लेकर भारतविरोधी पत्रकारिता करते हैं ।
हिन्दू धर्म में केवल जन्म लेने से कोई हिन्दुत्वनिष्ठ नहीं हो जाता । हिन्दुत्वनिष्ठ होने के लिए व्यक्ति का केवल जन्म से हिन्दू होना ही पर्याप्त नहीं; अपितु वाणी, विचार एवं आचार से भी उसे हिन्दू होना चाहिए ।