भीषण आपातकाल में टिके रहने हेतु प्रत्येक व्यक्ति को नामजप करना आवश्यक !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

एक बार एक साधक की बहन वाहन से गिर गई; इसलिए उसका आश्रम आना रद्द हो गया था । इस प्रसंग के विषय में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के सत्संग में सीखने के लिए मिले सूत्र यहां दे रहे हैं ।

मैं : गुरुदेवजी, आजकल अनेक साधकों की दुर्घटनाएं हो रही हैं अथवा उन्हें कुछ न कुछ कष्ट हो रहे हैं ।

श्रीमती रोहिणी वाल्मिक भुकन

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी : अब आपातकाल चल रहा है; इसलिए नामजप करना आवश्यक है । वाहन चलाते समय हमारा नामजप होना चाहिए । उससे हमारे साथ होनेवाली दुर्घटना अथवा कष्ट की तीव्रता अल्प होगी अथवा वह टल सकेगी । मैं जब कक्ष में सोया रहता हूं, उस समय मैं भी नामजप करता हूं ।

इससे स्पष्ट होता है कि हमें यदि भीषण आपातकाल में टिके रहना है, तो ‘भगवान को अधिक से अधिक पुकारना, जाप करना, हमारे नियंत्रण में जो क्रियमाण है, उसका उपयोग करना इत्यादि विचार गंभीरता से करने चाहिए ।’ साक्षात भगवान नामजप करते हैं, तो हम भी उनसे सीखकर वाहन चलाते समय, साथ ही घर के बाहर सेवा अथवा काम के लिए जाते समय निरंतर नामजप करेंगे ।’’

– श्रीमती रोहिणी वाल्मिक भुकन (आयु २७ वर्ष, आध्यात्मिक स्तर ६२ प्रतिशत), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.


अपनी नींद की अपेक्षा, दूसरों का विचार करनेवाले सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !

‘मार्च २०२४ में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के निवास कक्ष के ऊपरवाले तल पर मरम्मत की सेवा चल रही थी । वहां फर्श बिठाना, दीवारों में छेद करना आदि ऊंची आवाज करनेवाले काम चल रहे थे । उन दिनों सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी को बहुत थकावट थी । इसलिए दिन में भी अधिक समय विश्राम करते थे । ऐसा होते हुए भी, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने कभी भी ऐसा नहीं कहा कि ‘अब मैं सो रहा हूं । मजदूरों को बाद में काम करने के लिए कहो ।’ उसी आवाज में वे सोते ।’

– सेवारत साधक (६.४.२०२३)