साधको, साधना के आनंद की तुलना किसी भी बाह्य सुख से नहीं हो सकती, इसलिए साधना के प्रयत्न लगन से करें एवं खरा आनंद अनुभव करें !
साधकों के मन में माया के विचारों की तीव्रता एवं बारंबारता अधिक हो, तो वे इसके लिए स्वसूचना लें । अनिष्ट शक्तियों के कष्ट के कारण ऐसे विचार बढने पर नामजपादि आध्यात्मिक उपचार बढाएं ।