वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव का पांचवां दिन (२८ जून) : उद्बोधन सत्र – मंदिरों की रक्षा हेतु न्यायालयीन प्रयास

प्राचीन काल में मंदिर केवल पूजा-पाठ के केंद्र नहीं थे, अपितु सर्वांगीण विकास के केंद्र थे । स्वतंत्रता संग्राम में मंदिर स्वतंत्रतासेनानियों के लिए शक्तिकेंद्र बने थे । उसके उपरांत मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना अल्प हुआ ।

हिन्दुओं के विरुद्ध वैचारिक युद्ध जीतने के लिए अधिवक्ताओं का ‘इकोसिस्टम’ आवश्यक है !  – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

हिन्दू राष्‍ट्र के लिए प्रत्‍यक्ष लडाई में हमारे जैसे सामान्‍य कार्यकर्ता सहभागी होंगे; परंतु आज विरोधकों ने वैचारिक युद्ध आरंभ किया है । उसे जीतने के लिए वैचारिक योद्धाओं की आवश्यकता है । ये वैचारिक योद्धा भारतीय कानून संबंधी जानकारी और संविधान के अंतर्गत व्यवस्थाओं का उचित अर्थ बताकर हिन्दुओं का पक्ष कानूनीदृष्टि से सक्षम बनानेवाले होंगे ।

भगवान के सान्निध्य में रहकर न्यायालयीन कार्य करना चाहिए ! – अधिवक्‍ता कृष्‍णमूर्ती पी., जिलाध्यक्ष, विश्‍व हिन्दू परिषद, कोडागु, कर्नाटक

‘मैं वाहन से प्रवास करते समय अथवा न्यायालय में भी नामजप करता हूं । भगवान पर हमारी इतनी श्रद्धा होनी चाहिए कि यदि हम पर कोई संकट आता है तो भगवान को हमारी सहायता करनी चाहिए । हमारे मालिक भगवान हैं । भगवान के भक्त को चिंता करने की आवश्यकता नहीं । 

हिन्दुओं के साधना और क्षात्रतेज त्याग देने से लव जिहाद जैसी घटनाओं में वृद्धि ! – यति मां चेतनानंद सरस्वतीजी, महंत, डासना पीठ, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश

स्वतंत्रताप्राप्ति के पश्चात भारत की कुछ हिन्दू स्त्रियां स्वेच्छा से अधर्मियों के साथ जा रही हैं । फिल्म जगत को इस्लामी देशों से हो रही आर्थिक आपूर्ति के परिणामस्वरूप ‘लव जिहाद’ का बीजारोपण किया जा रहा है ।

हिन्दुओं को स्वरक्षा प्रशिक्षण लेने के साथ ही उपासना भी करनी चाहिए ! – स्वामी साधनानंद महाराज, मुख्य संयोजक, भारत सेवाश्रम संघ (पूर्वोत्तर क्षेत्र)

हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है । हिन्दू धर्म, यह दुर्बलों का नहीं है । हिन्दुओं को प्रभु श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण समान अन्याय के विरोध में लडना चाहिए ।

वैश्‍विक हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन – द्वितीय दिवस (२५ जून) उद़्‍बोधन सत्र – विविध राज्यों में हिन्दुओं की दुर्दशा

आक्रामकों ने कश्मीर को हिन्दुओं से छीन लिया है । वामन भगवान विष्णु ने पहले चरण में बलीराजा से भूमि ले ली । उसीप्रकार हिन्दू राष्ट्र के लिए पहला कदम कश्मीर में रखना चाहिए । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कश्मीर से हो । पंद्रहवीं शताब्दी से कश्मीर से कश्मीरी हिन्दुओं का विस्थापन शुरू है ।

संसद में ‘हिन्दू राष्ट्र’ की मांग करें, ऐसे ५० हिन्दुत्वनिष्ठ सांसद चुनकर लाएं ! – टी. राजा सिंह, प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ विधायक

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिन्दुओं को त्याग करने की आवश्यकता है । साधना के बल पर ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर सकते हैं ।

वैश्विक हिंदू राष्ट्र सम्मेलन का छठा दिन – सत्र का विषय : न्यायिक कार्य एवं अधिवक्ताओं का संघर्ष

सभी जिहादों में सबसे भयानक ‘भूमि जिहाद’ है, तथा सभी जिहाद इसी जिहाद से संबंधित हैं । इसके अंतर्गत वे मुख्यतः सरकारी भूमि को अपने नियंत्रण में लेने का प्रयास करते हैं ।

भारतीय ज्ञान पर आधारित पश्चिमी वैज्ञानिक प्रगति ! – डॉ. नीलेश ओक, यूएसए

अमेरिका में इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड साइंसेज में कार्यरत डॉ. नीलेश ओक ने कहा कि ‘‘पश्चिमी लोगों ने भारत के समृद्ध ग्रंथों का अनुवाद करके ही विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की है ।’’ वे ‘विश्वगुरु भारत की बलस्थान : सनातन हिन्दू धर्म’ विषय पर बोल रहे थे ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के कुछ क्षणमोती !

भारत हिन्दू राष्ट्र हमारा ।
सभी भारतीय वह एक परिवार  ।।