प्रत्येक सेवा परिपूर्ण पद्धति से करनेवाली तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति दृढ श्रद्धा रखनेवालीं सनातन की ८४ वीं (समष्टि) संत पू. (श्रीमती) सुनीता खेमकाजी !

सनातन संस्था से संपर्क होने पर मन में बिना कोई शंका लिए उन्होंने किस प्रकार सभी सेवाएं परिपूर्ण पद्धति से की, गुरुदेवजी से उनका पहली बार मिलना, उस समय उनके द्वारा अनुभव किए गए भावक्षणों, गुरुदेवजी की प्रति उनकी दृढ श्रद्धा तथा साधना करते समय उन्हें प्राप्त अनुभूतियां देखनेवाले हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी द्वारा संकलित ग्रंथों में समाहित लेखन के प्रकार ‘मेरे द्वारा संकलित ग्रंथों में निम्न ३ प्रकार का लेखन है –

साधना आरंभ करने पर ‘ध्यान से उत्तर मिल सकते हैं’, यह ज्ञात होने पर मैं मेरी अधिकतर शंकाओं के उत्तर ध्यान से प्राप्त करता था । उसके कारण सूक्ष्म स्तर का वह ज्ञान पृथ्वी पर उपलब्ध किसी भी ग्रंथ में नहीं है ।

साधना के विषय में उपयुक्त दृष्टिकोण !

‘साक्षित्व की अवस्था विलक्षण विलोभनीय है । यहां शुद्ध विश्राम है तथा परम विश्राम है । विभिन्न योनियों से भटककर परिश्रांत बना ऐसा जीव, जिस समय इस साक्षित्व की दशा को प्राप्त होता है, उस समय उसका संसार भ्रमण रुक जाता है

अतीत में हुई चूकों से व्यथित न हों, अपितु अच्छा भविष्य बनाने हेतु तत्पर हों !

अतीत में जो कुछ भी चूकें हुईं, सो हुईं; परंतु अब उन चूकों को सुधारना संभव हो, तो उन्हें तत्परता से सुधारें, पहले हुईं चूकें पुनः न हों; इस हेतु तत्परता से प्रयास भी करें, ‘स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया’ अच्छे से करें । इस प्रकार प्रयास आरंभ करने से मन सकारात्मक होकर हम आनंदित रहते हैं।’

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने सप्तर्षियों की आज्ञा से तमिलनाडु के ‘कुंभकोणम्’ क्षेत्र के निकट कावेरी नदी के तट पर बसे ७ शिवमंदिरों के किए दर्शन !

इन ७ शिवमंदिरों में परंपरागत उत्सवों में जाने से श्रद्धालुओं के मनोरथ पूर्ण होते हैं । कुछ श्रद्धालु सप्त शिवमंदिरों के दर्शन का संकल्प लेकर मनौती मांगते हैं । अनेक ग्रामवासी मन में भिन्न-भिन्न संकल्प कर शिवमंदिरों में जाते हैं ।

आज तक आपातकाल को आगे ले जाने का मुख्य कारण है महान संतों-महात्माओं की कृपा !

सामान्य व्यक्तियों के लिए इस भीषण आपातकाल का सामना करना असंभव होगा । उसके कारण ही अभी तक अनेक बार संतों-महात्माओं ने सामान्य जीवों का विचार कर अपनी साधना खर्च कर इस आपातकाल को आगे बढा दिया है । सामान्य लोग जब अपनी साधना बढाएंगे, तभी जाकर यह आपातकाल उनके लिए सहनीय हो पाएगा !

बचपन से ही सात्त्विक वृत्ति एवं दैवी गुणों से युक्त कतरास (झारखंड) की सनातन की ८४ वीं (समष्टि) संत पू. (श्रीमती) सुनीता प्रदीप खेमकाजी (आयु ६३ वर्ष) !

माघ शुक्ल एकादशी (२०.२.२०२४) को पू. (श्रीमती) सुनीता खेमकाजी का ६३ वां जन्मदिवस है । इस उपलक्ष्य में उनके बचपन से लेकर अब तक की साधनायात्रा यहां दी गई है ।

आपातकाल संबंधी संतों द्वारा किया भाष्य !

इस विश्वयुद्ध में देश की इतनी हानि होगी कि उसके उपरांत ‘राष्ट्र के पुनर्निर्माण हेतु पूरी एक पीढी को अपना जीवन देना पडेगा ।

सनातन की पुणे की संत पू. (श्रीमती) मालती शाह (आयु ८६ वर्ष) का देहत्याग !

सनातन की धर्मप्रचारक सद्गुरु स्वाती खाडयेजी ने ४ अगस्त २०२२ को उन्हें ‘संत’ के रूप में घोषित किया था ।