श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी का अनमोल विचारधन !

स्वयं को अज्ञानी माननेवाले ज्ञानवंत को ही भगवान की कृपा से ज्ञान का कृपा प्रसाद मिलता है !

२५.१०.२०२२ को दिखाई देनेवाला खंडग्रास सूर्यग्रहण, ग्रहण की अवधि में पालन किए जानेवाले नियम तथा ग्रहण का राशि के आधार पर मिलनेवाला फल !

‘विक्रम संवत अनुसार कार्तिक अमावस्या एवं शक संवत अनुसार आश्विन अमावस्या (२५.१०.२०२२, मंगलवार) को भारत सहित एशिया उपमहाद्वीप का मध्य का क्षेत्र तथा पश्चिम का प्रदेश, संपूर्ण यूरोप उपमहाद्वीप, अफ्रीका उपमहाद्वीप का पूर्वाेत्तर प्रदेश, इन प्रदेशों में ग्रहण दिखाई देगा ।

सप्तर्षियों द्वारा नाडीपट्टिकाओं के वाचन के माध्यम से वर्णन की श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी में विद्यमान अवतारी देवीतत्त्व की महिमा !

अभी पृथ्वी पर तीन अवतार हैं, इसलिए देवादिकों की दृष्टि पृथ्वी की ओर होना

प.पू. भक्तराज महाराजजी की धर्मपत्नी वात्सल्यमूर्ति प.पू. जीजी (प.पू. [श्रीमती] सुशीला कसरेकरजी) का देहत्याग

सनातन संस्था के श्रद्धाकेंद्र प.पू. भक्तराज महाराजजी की (प.पू. बाबा की) धर्मपत्नी तथा पू. नंदू कसरेकरजी की माताजी प.पू. जीजी (प.पू. [श्रीमती] सुशीला कसरेकरजी) (आयु ८६ वर्ष) ने १८ सितंबर को दोपहर २ बजे नाशिक में उनके कनिष्ठ पुत्र श्री. रवींद्र कसरेकर के आवास पर देहत्याग किया ।

सनातन के कार्य को भर-भरकर आशीर्वाद देनेवालीं प.पू. भक्तराज महाराजजी की धर्मपत्नी प.पू. श्रीमती (स्व.) सुशीला दिनकर कसरेकरजी !

आयु के १७ वें वर्ष में विवाह होने के उपरांत उन्होंने जीवनभर प.पू. भक्तराज महाराजजी (प.पू. बाबा) जैसे उच्च कोटि के संत की गृहस्थी संभालने का कठिन शिवधनुष्य उठाया । प.पू. जीजी की साधना अत्यंत कठिन थी ।

बांसुरीवादन के द्वारा संगीत साधना, क्रियायोग की ध्यानसाधना तथा चिन्मय मिशन की ज्ञानसाधना के आनंद की निरंतर अनुभूति लेनेवाले बांसुरीवादक पंडित हिमांशु नंदा !

भारत की गुरु-शिष्य परंपरा के अनुसार श्री गुरु शिष्य पर क्रोधित होते हैं और आवश्यकता पडने पर गालियां भी देते हैं; परंतु शिष्य को उसका बुरा नहीं लगता । अन्य किसी ने गाली दी, तो क्रोध आएगा; परंतु श्री गुरु ने गाली दी, तो शिष्य कहता है, ‘यह तो श्री गुरु की कृपा हुई !’ यही शिष्य का समर्पण है ।

वाराणसी आश्रम के प्रति कृतज्ञभाव में रहनेवाले सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी

उत्तर भारत में प्रतिकूल परिस्थिति में भी धर्मप्रसार का कार्य अत्यंत लगन से करनेवाले, प्रेमभाव से हिन्दुत्वनिष्ठों से निकटता साधनेवाले एवं विनम्र वृत्ति के हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी २९.६.२०२२ को सद्गुरुपद पर विराजमान हुए ।

शक्तिदेवता !

इस वर्ष की नवरात्रि के उपलक्ष्य में हम देवी के इन ९ रूपों की महिमा समझ लेते हैं । यह व्रत आदिशक्ति की उपासना ही है !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा साधकों को साधना के आरंभ में कुलदेवता की उपासना करने के लिए कहकर उनसे आदिशक्ति की उपासना करवा लेना !

‘सनातन संस्था के माध्यम से साधक जब साधना करने लगे, उस समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने पहले साधकों को उनकी कुलदेवता की उपासना करने के लिए कहा और सभी साधकों से उनकी कुलदेवता का नामस्मरण करवा लिया ।