मोक्षप्राप्ति अकेलेसे और अकेलेको ही होती है

आगे चलकर, प्रगतिके लिये व्यक्तिगत प्रयास अत्यावश्यक हैं । मोक्षप्राप्तिके लिये प्रयास केवल अकेलेको ही करने पडते हैं और मोक्षप्राप्ति केवल अकेलेको ही होती है ।

सनातन के ७ वें संत पू. पद्माकर होनपजी (आयु ७४ वर्ष) का देहत्याग

विनम्रता, निरपेक्ष प्रीति जैसे अनेक दैवी गुणों से युक्त एवं परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति अनन्य भाव रखनेवाले, रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम निवासी सनातन के ७ वें संत पू. पद्माकर होनपजी (आयु ७४ वर्ष) ने ३० अक्टूबर २०२२ को दोपहर ४.२७ बजे लंबी बीमारी के चलते देहत्याग किया ।

साधकों, भ्रमणभाष पर संपर्क करने हेतु घर का कार्य, साथ ही कार्यालयीन कार्य में बाधा/अडचन न आए, इसलिए सहसाधकों को अपना उपलब्ध समय सूचित करें !

‘प्रसार के अधिकांश साधक पारिवारिक दायित्व संभालते हुए धर्मप्रसार की सेवा करते हैं । जिस समय वे घर में रहते हैं, उस समय कुछ साधक सेवा के संदर्भ में उन्हें भ्रमणभाष पर संपर्क करते हैं तथा सेवा के संदर्भ में बातें करते हैं ।

मनुष्य को रात के समय अनिष्ट शक्तियों का कष्ट होने का अध्यात्मशास्त्र !

‘पृथ्वी के जिन भूभागों पर सूर्यप्रकाश आता है, उस समय तथा उसके उपरांत कुछ समय तक सूक्ष्म रूप में वातावरण में सूर्य का परिणाम बना रहता है; क्योंकि सूर्यप्रकाश में दैवी अस्तित्व होता है ।

‘भजन’, ‘भ्रमण’ एवं ‘भंडारा’, इन माध्यमों से दिन-रात कार्य करनेवाले प.पू. भक्तराज महाराजजी के स्थूल एवं सूक्ष्म कार्य की पू. नंदू भैया (हेमंत कसरेकरजी) द्वारा वर्णन की गई विशेषताएं !

सनातन संस्था के श्रद्धाकेंद्र प.पू. भक्तराज महाराजजी (प.पू. बाबा) के बडे सुपुत्र पू. नंदू भैया जून २०१५ में सनातन के रामनाथी आश्रम में पधारे थे ।

साधको, अनमोल मनुष्य देह के रहते ही साधना एवं गुरुसेवा करना संभव होने से प्राप्त परिस्थिति में ही समर्पित होकर साधना करो !

मन में संघर्ष होते समय आए स्वप्न में, स्वयं की देह मृतावस्था में दिखाई देना, उस देह में प्रवेश करना संभव न होना तथा उस स्थिति में सेवा एवं नामजप करने का प्रयास करने पर वह करना भी संभव न हो पाना

साधकों, वर्तमान में होनेवाले पृथक कष्टों पर विजय पाने के लिए स्वयं की साधना में वृद्धि करें !

वर्तमान में अधिकांश साधकों के शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक कष्ट बढ गए हैं । कष्टों की प्रतिदिन बढनेवाली यह मात्रा आपत्काल निकट आने को दर्शा रही है ।

व्यष्टि एवं समष्टि साधना करते समय आवश्यक प्रयास !

‘घर में हमारे साथ साक्षात भगवान हैं’, इस दृढ श्रद्धा से साधना करनी चाहिए !