गुरुकृपायोग में ‘ज्ञानयोग’ भक्तियोग के अंतर्गत आता है !

कलियुग में भक्तियोग के अनुसार साधना कर शीघ्र आध्यात्मिक उन्नति करना संभव है । इसके लिए ‘गुरुकृपायोग’ भक्तियोगप्रधान है । गुरुकृपायोग के अनुसार साधना करते समय साधक को आवश्यकता के अनुसार अन्य साधनामार्ग भी सिखाए जाते हैं ।

सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा साधकों को व्यष्टि एवं समष्टि साधना के विषय में किया मार्गदर्शन

साधना होने के लिए कष्ट करने की तैयारी होनी चाहिए । हम केवल कर्म करते हैं; परंतु वे कर्म साधना के रूप में ही होने चाहिए । साधना के रूप में न करने से हम पीछे रहते हैं ।

सप्तर्षियों की कृपा प्राप्त करनेवालीं तथा बडी सहजता से ‘विश्वकार्य’ के स्तर तक पहुंचनेवालीं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

अभी तक श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने आध्यात्मिक क्षेत्र में बहुत बडा कार्य किया है तथा इसके आगे भी उनके द्वारा बहुत बडा अद्वितीय एवं दैवीय कार्य होनेवाला है !

कलियुग की सर्वश्रेष्ठ नामजप साधना, नामजप की वाणियां एवं ध्वनि-प्रकाश विज्ञान

नामजप स्थूल ध्वनि, अव्यक्त ध्वनि, साथ ही प्रकाश ऊर्जा से चित्तशुद्धि कर मनुष्य को केवल स्वास्थ्य ही नहीं, अपितु आनंदप्राप्ति का मार्ग साध्य कराता है । यह कलियुग की सर्वश्रेष्ठ साधना सिद्ध होती है ।

मनुष्य का शरीर विभिन्न यंत्रों सहित कारखाने की भांति आत्मा का वाहन होना

अंदर बैठा हुआ जीव, जीवात्मा, आत्मा, परमात्मा अर्थात चेतना है, शाश्वत है, अविनाशी है, सर्वव्यापी है, सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है । यही अंतिम सत्य, यही हमारा स्वस्वरूप तथा यही है अनादि अनंत !

ईश्वर से सनातन को मिला एक अनमोल वरदान श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

देवताओं के दर्शन करते-करते सप्तर्षियों एवं सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी की कृपा से श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी में विद्यमान देवीतत्त्व प्रकट होने लगा है । समाज के अनेक लोग उनकी ओर आकृष्ट होते हैं । उनका ‘तेजस्वी मुखमंडल’ ही अब उनकी पहचान बन चुका है ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के माध्यम से साक्षात आदिशक्ति जगदंबा पृथ्वी पर वास कर रही हैं ! – सप्तर्षि

भक्त अपने-अपने भावानुसार, अनुभूति अनुसार, साधनामार्गानुसार भगवान का वर्णन करता है  ! भगवान का प्रत्यक्ष रूप कैसा है ?, इसका केवल वेद, उपनिषद में ही वर्णन मिलता है । उसी प्रकार अवतारों की भी महिमा है ।

पिठापुरम् (आंध्र प्रदेश) में श्री महालक्ष्मीस्वरूप श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी से मिलने के लिए साक्षात श्री दत्तगुरु का वृद्ध पुजारी के रूप में पधारना

सप्तर्षियों द्वारा जीवनाडी-पट्टिका में बताए अनुसार श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी १४.११.२०२२ को आंध्र प्रदेश में स्थित पिठापुरम् गई थीं । उस समय पिठापुरम् में हुई दैवीय लीला आगे दी है ।

अध्यात्म में उच्च स्तर पर होते हुए भी सभी में घुलमिलकर सभी को अपना बनानेवालीं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

सादगी श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी की एक विशेषता है । उसके साथ उनके खुले स्वभाव एवं सुंदर आचरण का संयोग हुआ है । इसके कारण उनके सान्निध्य में सभी को आनंद मिलता है ।

सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी द्वारा व्यष्टि एवं समष्टि साधना के विषय में किया गया मार्गदर्शन

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी इन्होंने साधकों की व्यष्टि एवं समष्टि साधना की समस्याओं को समझा तथा उनका मार्गदर्शन किया । इस मार्गदर्शन के सूत्र यहां दिए हैं ।