इंग्लैंड प्रस्थान

मुंबई के विविध चिकित्सालयों में ५ वर्ष नौकरी करने के उपरांत डॉ. आठवलेजी ने ४.७.१९७१ को मनोविकारों के लिए सम्मोहन उपचार-पद्धतियों के विषय में अधिक शोध करने हेतु इंग्लैंड प्रस्थान किया । उन्होंने वर्ष १९७१ से वर्ष १९७८ की कालावधि में ब्रिटेन में वास्तव्य किया ।
सम्मोहन उपचारों के विषय में शोध करने के लिए रुग्णालय में नौकरी
डॉ. आठवलेजीने वर्ष १९७१ से १९७८ की अवधि में ब्रिटैन के ‘लॅनफ्रेच्फा ग्रेंज हॉस्पिटल’ (कुम्ब्रान, ग्वेन्ट, वेल्स) चिकित्सालय में ‘डॉक्टर’ के रूप में नौकरी करते हुए सम्मोहन उपचार-पद्धतियों के विषय में शोध किया ।
वहां सोमवार से शुक्रवार सवेरे १० से १२ तथा सप्ताह में दो दिन और मास में एक शनिवार-रविवार निवासी काम रहता था । इसलिए शेष समय में वे कुछ चिकित्सालयों में ‘वैकल्पिक (लोकम) डॉक्टर’ के रूप में नौकरी करते ।
चिकित्सकीय शोधकार्य
१. मनोविकारों के लिए सम्मोहन उपचार-पद्धतिपर शोध !
अयोग्य कृत्य का भान और उसपर नियन्त्रण, अयोग्य प्रतिक्रियाओं के स्थान पर योग्य प्रतिक्रिया का निर्माण, मन ही मनमें प्रसंग का अभ्यास करना आदि स्वसम्मोहन उपचारों की नवीनतम पद्धतियों का शोध किया ।
२. शारीरिक रोगसम्बन्धी शोध !
‘इसिनोफिलिया’ (श्वेत रक्त कोशिकाओं का रोग) तनाव से हो सकता है, इसकी खोज की ।
३. अन्य शोध
अ. कान जांचने का प्लास्टिक का एकल उपयोग उपकरण (डिस्पोजेबल ऑरल स्पेक्यूलम) : चिकित्सा क्षेत्र में सर्वप्रथम बनाया ।
आ. अपूर्ण चिकित्सकीय शोधकार्य
एकल उपयोगी नाक जांचने का प्लास्टिक का उपकरण (डिस्पोजेबल नेजल स्पेक्यूलम), फाइबर ग्लास का गोलियां गिनने का यन्त्र (टैबलेट काउंटिंग इंस्ट्रूमेंट), तथा ‘स्टेथोस्कोप’ (टिप्पणी) का एकल उपयोगी कर्णभाग (डिस्पोजेबल इयर पीस) बनाने संबंधी शोधकार्य हो रहा था, तब परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने भारत लौटने का निर्णय लिया, इसलिए ये शोधकार्य अधूरे रह गए ।
टिप्पणी – ‘स्टेथोस्कोप’ अर्थात हृदय की धडकन अथवा श्वासोच्छ्वास सुनने के लिए प्रयोग किया जानेवाला उपकरण ।
भारत में पुनरागमन एवं ‘सम्मोहन उपचार विशेषज्ञ’ के रूप में कार्य
डॉ. आठवलेजी ११.६.१९७८ को वे इंग्लैंड से भारत वापस आने पर उन्होंने मुंबई में ‘सम्मोहन उपचार-विशेषज्ञ’ के रूप में चिकित्सा व्यवसाय आरंभ किया । डॉ. आठवलेजी ने रोगियों की सुविधा हेतु हकलाहट, यौन समस्या आदि संबंधी मराठी, गुजराती, हिन्दी, कोंकणी, अंग्रेजी, इन भाषाओं में जानकारी-पत्रक तैयार किए । उन्होंने सम्मोहन उपचारों के प्रसार हेतु सूचना-पत्रकों का वितरण, समाचार-पत्रों में लेखन, चिकित्सकों के लिए अभ्यासवर्ग आदि कार्य किए ।