Navaratri : नवरात्रि की सप्तमी तिथि का महत्व

नवरात्रि की सप्तमी तिथि को श्री दुर्गादेवी के असुर, भूत-प्रेत इत्यादि का नाश करनेवाले ‘कालरात्रि’ रूप की पूजा की जाती है।

Navaratri : देवी तत्त्व के अधिकतम कार्यरत रहने की कालावधि अर्थात नवरात्रि ।

श्री दुर्गादेवी नवरात्रि के नौ दिनों में संसार का तमोगुण घटाती हैं और सत्त्वगुण बढाती हैं ।

Navaratri : नवरात्रि में जागरण तथा उपवास करने का महत्त्व

उपवास करने से व्यक्ति का रजोगुण तथा तमोगुण घटता है तथा देह की सात्त्विकता बढती है । ऐसा सात्त्विक देह वातावरण से शक्तितत्त्व को अधिक ग्रहण करने के लिए सक्षम बनता है ।

स्वबोध, मित्रबोध एवं शत्रुबोध

आज भी एक ओर विश्व को ईसामय बनाने का षड्यंत्र सर्वत्र जोर-शोर से चल रहा है, तो दूसरी ओर ‘गजवा-ए-हिन्द’ आदि विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत विश्व को इस्लाममय बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं । इस वैश्विक परिस्थिति में हिन्दू विचारक, अध्येता स्वबोध एवं शत्रुबोध इन संज्ञाओं के प्रचलन के द्वारा हिन्दू समाज में जनजागरण का अभियान चला रहे हैं

हिन्दुओं की एवं हिन्दू धर्म की दुर्दशा के कारण तथा उसके उपाय !

दिन-प्रतिदिन बहुसंख्यक हिन्दुओं एवं हिन्दू धर्म की अत्यधिक हानि हो रही है ।’ निम्नांकित लेख में उनके कारण एवं उस पर ध्यान में आए उपायों का विवेचन किया है ।

हिन्दुओं को धर्म से दूर ले जानेवाला ‘धार्मिक जिहाद !’

आज हिन्दू समाज बहुत बडे संकट से गुजर रहा है । इस समय अनेक कालनेमी हमारे आसपास हैं जो घात लगाकर बैठे हुए हैं । इसलिए हमें सतर्क रहने की और उचित कदम उठाने की नितांत आवश्यकता है ।

श्राद्ध के प्रति अनुचित प्रचार कर धर्महानि न करें !

जीवित माता-पिता की चिंता करना ही चाहिए; किंतु उनके पश्चात उनकी आगे की यात्रा सुखकर हो, इसलिए श्राद्धपक्ष एक विधिवत शास्‍त्रीय विधान है ।

इजराइल के ‘आयर्न डोम’ (परमाणुअस्त्रविरोधी तंत्र) ने किया हुआ कार्य तथा सरकार के द्वारा किए हुए उपाय !

‘आयर्न डोम’ तंत्र ने ९० प्रतिशत रॉकेटस् को हवा में ही नष्ट किया !

चीन की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में : भारत के लिए स्वर्णिम अवसर !

चीनी अर्थव्यवस्था में आई मंदी का परिणाम निश्चित रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड रहा है; परंतु यह स्थिति भारतीय उद्योगों के लिए नए-नए अवसरों के द्वार खोल रही है ।

द्रमुक नेता उदयनिधि स्टालिन की बुद्धि का अस्त !

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन के कुलदीपक ने सनातन धर्म को विभिन्न प्रकार की संक्रामक बीमारियों की उपमाएं देकर अनादर किया । उनके द्वारा सनातन धर्म के विषय में किया गया वक्तव्य उनकी बुद्धि अस्त होने का दर्शक है । मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं ?, यह मैं इस लेख में कारणों सहित स्पष्ट कर रहा हूं ।